एसडीएम नीलेश शर्मा, एसडीओपी गुरुवचनसिंह और नायब तहसीलदार रोहित रघुवंशी पुलिस बल और राजस्व अमले के साथ शनिवार को दोपहर के समय राजपुर कस्बे में पहुंचे। जहां पर उन्होंने पहले तो मुनादी कराई, साथ ही कर्मचारियों ने अतिक्रमण क्षेत्र में आने वाली जगह पर घर-घर पहुंचकर लोगों को समझाईश दी और तुरंत ही मकान खाली करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी समय इन मकानों को तोड़ा जा सकता है। इसलिए इन मकानों को खाली कर दें और गृहस्थी का अपना सामान इन मकानों में से निकालकर किसी सुरक्षित जगह पर रख लें, ताकि कार्रवाई के दौरान मकान तोड़े जाने की वजह से रहवासियों का सामान टूटने से बच सके और रहवासियों को नुकसान का सामना न करना पड़े।
इसके लिए प्रशासन ने हर ग्रामीण को उस जगह को खुद ही हाथ लगाकर बताया कि यह-यह मकान तोड़े जाएंगे। प्रशासन द्वारा यह सूचना दिए जाने से कस्बे में डर का माहौल रहा, साथ ही शनिवार को दिनभर राजपुर कस्बे का पूरा बाजार बंद रहा और दुकानों पर ताले लटके रहे। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस किसी भी व्यक्ति को उठाकर थाने में बंद कर रही है।
किसी भी समय हो सकती है तोडफ़ोड़-
प्रशासन की मानें, तो हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब किसी भी समय इन मकानों की तोडफ़ोड़ की जा सकती है। इसके लिए सभी अधिकारी-कर्मचारियों को निर्देश दिए गए हैं, तो वहीं भारी मात्रा में पुलिस बल भी कार्रवाई के दौरान कस्बे में तैनात किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो कार्रवाई के दौरान महिलाएं मशीनों के सामने न आएं इसके लिए महिला पुलिस की भी ड्यूटी लगाने की योजना है, ताकि वह विरोध करने आने सामने आने वाली महिलाओं को रोक सकें।
प्रशासन की इस सख्ती को देखते हुए कस्बे के रहवासी भी समझ चुके हैं कि किसी भी स्थिति में अब उनके मकान टूटने से नहीं बच सकते हैं। हालांकि इस कार्रवाई की वजह से रहवासियों में अपने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ नाराजगी दिख रही है और कार्रवाई के लिए भी ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं जो अंत तक उन्हें झूठा दिलासा देते रहे।
यह है कस्बे में अतिक्रमण का पूरा मामला-
पठार पर लोगों ने अपने मकानों का निर्माण कर लिया था, जिनमें कई मकान तो 15 से 20 साल पूर्व के हैं। गांव के ही एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इन मकानों को हटवाने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने अतिक्रमण मानते हुए 19 फरवरी को आदेश जारी कर इन्हें हटाने के निर्देश दिए थे।
प्रशासन के मुताबिक 54 मकान अतिक्रमण के दायरे में हैं, जिसमें से 23 अतिक्रमण पूर्व में हटाए जा चुके हैं और 31 मकानों को हटाया जाना है। वहीं 27 मार्च को प्रशासन जब कार्रवाई करने पहुंचा तो ग्रामीणों ने एकत्रित होकर मशीनों को रोक दिया था, हालांकि बाद में प्रशासन ने ग्रामीणों पर प्रकरण दर्ज कराया, तो ग्रामीण हट गए और शाम को छह दुकानों को तोड़ दिया गया था। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने इस मामले पर प्रशासन को फटकार लगाई और अतिक्रमण हटाकर चार अप्रैल को आदेश का पालन प्रतिवेदन देने का आदेश दिया है।
ग्रामीण कह रहे 1994 में आबादी क्षेत्र घोषित हुई थी पठार-
वही कस्बे के रहवासियों का कहना है कि 1994 को अपर कलेक्टर ने पठार के सर्वे नंबर 503 के आधे रकबे को आबादी क्षेत्र घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में उस आदेश पर कर्मचारियों ने अमल नहीं किया और रिकॉर्ड में आबादी क्षेत्र की वजाय शासकीय भूमि ही दर्ज रही। साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें आवासीय पट्टे भी दिए थे, लेकिन रहवासियों के उन दावों को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
हमने कस्बे में पहुंचकर मुनादी करा दी है और तुरंत मकान खाली करने के निर्देश दिए हैं। ताकि रहवासी उनके सामान को निकालकर सुरक्षित जगह पर रख सके और मकान तोड़े जाने की वजह से सामान टूटने के नुकसान से बच सकें। जल्दी ही इन मकानों को तोड़कर अतिक्रमण हटाया जाएगा।
नीलेश शर्मा, एसडीएम अशोकनगर