माता-पिता की चिंता
आशिक के पिता आशाराम और मां रीनाबाई बार बार बच्चे के हड्डियां टूटने से खासे चिंतित हैं उनका कहना है कि बचपन में ये हाल है तो आगे चलकर बच्चे का क्या होगा ये सोचकर उनका दिल बैठ जाता है। पिता आशाराम ने बताया कि वो किसी तरह मेनहत मजदूरी कर अपना और परिवार का पालन पोषण करते हैं। उनके दो बेटे हैं जिनमें से छोटे बेटे आशिक की हड्डियां इतनी कमजोर हैं कि जरा से में टूट जाती हैं। वो बताते हैं कि जब आशिक छोटा था और चलना सीख रहा था तो कमरों में गिरने के कारण उसकी बार बार पैरों की हड्डियां टूट चुकी हैं। उम्र बढ़ रही है लेकिन आशिक की हड्डियां मजबूत नहीं हो रही हैं।
दो बार कलेक्टर ने की इलाज में मदद
आशिक के पिता आशाराम कहते हैं कि इलाज के पैसे न होने पर दो बार तत्कालीन कलेक्टर ने पांच-पांच हजार रुपए की मदद की थी। मेहनत मजदूरी कर परिवार चला रहे हैं बेटे का बड़े अस्पताल में इलाज कराने की इच्छा भी है लेकिन पैसा कहां से लाएंगे। जब भी बेटे की हड्डियां टूटती हैं तो इलाज में पैसा लगता है समझ में नहीं आ रहा कि आखिर क्या करें। डॉक्टर्स ने आशाराम को बच्चे को ग्वालियर ले जाने की सलाह दी है।