जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में 14 पलंग हैं, जिनमें गुरुवार को 28 बच्चे भर्ती मिले तो वहीं बुधवार को इन पलंगों पर 44 बच्चे भर्ती थे। वहीं मौसमी बीमारियां बढऩे से कई बार एक-एक पलंग पर चार-चार बच्चों को भी भर्ती करना पड़ता है। इलाज कराने के लिए भर्ती यह बच्चे जगह की कमी से परेशान होते रहते हैं।
दिन में तो परिजन जैसे-तैसे काम चला लेते हैं, लेकिन रात के समय समस्या बढ़ जाती है और बच्चों के पलंग से गिरने का डर बना रहता है। इससे भीषण गर्मी के अपने बीमार बच्चों को सुलाने के लिए परिजन उन्हें गोद में लेकर परिसर में घूमते रहते हैं और चादर या अन्य कपड़े बिछाकर नीचे ही सुलाना पड़ता है। यह समस्या एक दिन या किसी विशेष समय की नहीं, बल्कि अब रोजाना यही हालात रहते हैं।
परिजन बोले हमेशा बना रहता है डर-
परिजनों का कहना है कि दो से तीन बच्चे एक पलंग पर भर्ती रहने से जहां बच्चों के गिरने का डर तो बना ही रहता है। साथ ही ड्रिप लगे होने के दौरान बच्चे को गोद में इसलिए लिटाना पड़ता है कि कहीं गलती से दूसरे बच्चा उसे हाथ-पैर न मार दे। इससे परिजनों को वार्ड में रात भी जागकर गुजारना पड़ती है।