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उम्मीदों का नया साल: कई योजनाएं पूरी होने से बदलेगी जिले की तस्वीर।

locationअशोकनगरPublished: Jan 01, 2019 10:47:36 am

Submitted by:

Arvind jain

40 से अधिक नई सड़कों का निर्माण होगा पूर्ण, पांच हजार गरीब परिवारों के पूर्ण हो जाएंग पक्के आवास

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उम्मीदों का नया साल: कई योजनाएं पूरी होने से बदलेगी जिले की तस्वीर।

अशोकनगर. सफलता, खुशी और बदलाव का नया साल 2019। बीते वर्ष में जहां कई सौगातों से जिले में बदलाव आया, तो लंबे समय से चल रहीं कई योजनाएं अब नए साल में पूरी होने वाली है, इससे जिले की तस्वीर बदलेगी और विकास की नई राह भी खुल सकती हैं। जिन कामों का लंबे समय से इंतजार था, वह अब जाकर पूरे होंगे। इससे जिले को लाभ मिलेगा। हालांकि इन काम कामों के साथ जिले की कुछ बड़ी समस्याओं को खत्म करने की चुनौतियां भी रहेंगी, इसके लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को गंभीरता दिखाने की जरूरत है।


जिले में पिछले वर्षों से चल रहे कुछ सकारात्मक प्रयासों ने जहां युवाओं की सोच में बदलाव किया है, तो वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2018 जिले के लिए खुशियों भरा रहा। विभिन्न वर्षों में जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 19 हजार से अधिक आवास स्वीकृत हुए, जिनमें से दो हजार आवास पिछले वर्ष पूर्ण हो चुके थे, जो 12 हजार आवास 2018 में तैयार हो जाने से गरीब परिवारों को झौंपड़ीनुमा और कच्चे मकानों की समस्या से मुक्ति मिल गई और यह गरीब परिवार अब अपने पक्के मकानों में रह रहे हैं। वहीं नए साल में भी शेष पांच हजार आवासों के पूर्ण होने की उम्मीद है।

तीन सौंगातों ने बदली जिले की सूरत-
1. जिले में शुरू हुए तीन नए कॉलेज-
हायर सेकेंडरी के बाद जिले में पढ़ाई के लिए विकासखंड मुख्यालयों पर ही कॉलेज थे। इससे ग्रामीण क्षेत्र की कई छात्राओं को दूरी ज्यादा होने की वजह से पढ़ाई छोडऩा पड़ती थी। 2018 में जिले के शाढ़ौरा, पिपरई और सेहराई में शासन ने तीन कॉलेज स्वीकृत कर शुरू कर दिए। अब गांव की छात्राएं 12वी के बाद आगे की पढ़ाई कर सकेंगी। मुंगावली कॉलेज में भी स्नातकोत्तर की कक्षाएं इस साल से शुरू हो गईं।


2. 12 हजार परिवारों को मिले पक्के आवास-
झोंपड़ीनुमा और कच्चे घरों में रह रहे जिले के 12 हजार परिवारों के पक्के आवास बनकर तैयार हो गए और कच्चे घरों की समस्या से मुक्ति मिल गई। पिछले वर्षों में स्वीकृत हुए आवास 2018 में बनकर तैयार हो गए और अब परिवार इनमें रहने लगे हैं। इससे इन परिवारों के सामने कड़ाके की सर्दी और बारिश के मौसम में छप्पर से पानी टपकने की समस्या से मुक्ति मिल गई।

3. जिले को मिला पहला नेशनल हाईवे-
जिले से स्टेट हाईवे तो पहले से ही थे, लेकिन 2018 में स्टेट हाईवे क्रमांक 19 को नेशनल हाईवे घोषित कर दिया गया। इससे जिले को पहला नेशनल हाईवे एनएच346ए नाम से मिल गया। इससे अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इसका निर्माण कार्य कराएगा और खतरनाक मोड़ खत्म करने के लिए कई वायपास भी बनाए जाएंगे।

नए साल में यह कार्य लाएंगे बदलाव-
– शहर के जर्जर वायपास पर फोरलेन सीसी सड़क स्वीकृत है, जिसका निर्माण कार्य चल रहा है और नए साल में पूर्ण हो जाएगा। इससे शहर में धूल और गड्ढ़ों की समस्या से मुक्ति मिलेगी।
– अशोकनगर, मुंगावली, चंदेरी की सरकारी अस्पतालों का प्रदेश सरकार ने उन्नयन किया था। इससे नए साल में व्यवस्थाएं जुटेंगी और दोगुनी संख्या में मरीजों के भर्ती रखने की क्षमता बढ़ जाएगी।
– जिले के 70 गांवों को सड़क मार्ग से जोडऩे के लिए सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है, जिनका निर्माण 2019 में पूर्ण हो जाएगा और यह गांव सड़क मार्ग से जुड़ जाएंगे।
– केंद्रीय सड़क निधि से अशोकनगर-पिपरई-नेशनल हाईवे तक सीसी रोड बन रहा है, इसके अलावा मल्हारगढ़ रोड, करीला रोड और थूबोन में भी सीसी रोड नए साल में तैयार हो जाएगा।

– 2018 में जिले में बहादुरपुर को मप्र शासन ने नवीन तहसील स्वीकृत कर दिया था। साथ ही इसके लिए पद भी स्वीकृत कर दिए थे, इस वर्ष बहादुरपुर तहसील शुरू हो सकती है।
– भवन विहीन सरकारी स्कूलों और नए स्वीकृत हाईस्कूलों के लिए भवन निर्माण का काम चल रहा है, जो इस साल तैयार हो जाएंगे और इनमें कक्षाएं लगना शुरू हो जाएंगी।
इन बदलावों ने बदली सोच-
– पहले ब्लड़ की जरूरत पडऩे पर अस्पतालों में मरीजों के परिजन परेशान होकर भटकते दिखते थे। लेकिन शहर सहित जिले के करीब 100 से ज्यादा युवाओं ने सोशल मीडिया पर ग्रुपों के माध्यम से इस सोच में बदलाव किया है। साथ ही जरूरत पडऩे पर वह लोगों को रक्तदान करते हैं।
– गरीब बेसहारा लोगों की मदद के लिए शहर में सामाजिक संस्थाएं और युवाओं के ग्रुप भी पहल करने लगे हैं। युवाओं की पहल पर लोग जुड़ते हैं और जरूरतमंद गरीब-बेसहारा लोगों की हर संभव मदद करते दिखते हैं। वहीं कपड़े और कंबलों का भी वितरण करते हैं।
– मृत्यु के बाद तेरहवी की प्रथा को खत्म करने के लिए जिले की लगभग ज्यादातर सभी समाजों में बदलाव आया है। अब दुखी परिवार को मृत्युभोज के खर्च से बचाने के लिए लोग आगे आने लगे हैं। वहीं कई समाजों ने मृत्युभोज बंद करने की घोषणाएं भी कर दी हैं।

जिले के लिए नई साल की चुनौतियां-
– खेती आधारित जिला होने के बाद भी यहां खेती के तरीकों में बदलाव की जरूरत है। पिछले वर्षों में कई युवाओं ने तरीकों में बदलाव करके खेती के मुनाफे में चार से पांच गुना बढ़ोत्तरी करके दिखा दिया। लेकिन जिले के ज्यादातर किसान परंपरागत खेती तक ही सीमित हैं।
– ट्रामा सेंटर की बिल्डिंग तैयार है, जिसका उद्घाटन के लिए पार्टियों में श्रेय लेने की होड़ रही। लेकिन अब तक ट्रामा सेंटर का जिले को लाभ मिलना शुरू नहीं हो सका। नए साल में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है।
– शहर में रेलवे क्रॉसिंग पर एफओबी बन जाने से समस्या का हल होने की वजाय मुश्किलें बढ़ गईं। शहर में अंडरब्रिज की मांग हैं और स्वीकृत भी हो चुका है। लेकिन एफओबी की तरह अंडरब्रिज का भी बिना योजना निर्माण न हो जाए, यह मुख्य चुनौती रहेगा।
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