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अशोकनगर

पारा 46.8 डिग्री, सूरज रोज पी रहा राजघाट बांध का एक सेमी पानी तो अब सूखने लगा बांध

सूरज के तीखे तेवर: सीजन का सबसे गर्म दिन रहा सोमवार, सामान्य से 6.8 डिग्री ज्यादा रहा दिन का पारा। – डेड स्टोरेज तक सिमटा बांध में पानी, यूपी-एमपी की प्यास बुझाने की जरूरत पड़ी तो गेट खोलने के बाद भी नहीं निकलेगा एक बूंद भी पानी।

अशोकनगरJun 11, 2019 / 01:50 pm

Arvind jain

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पारा 46.8 डिग्री, सूरज रोज पी रहा राजघाट बांध का एक सेमी पानी तो अब सूखने लगा बांध

अशोकनगर. मानसून की दस्तक से पहले ही गर्मी के तीखे तेवर जिले में परेशानी बढ़ाते नजर आ रहे हैं। बढ़ते पारे के साथ सूरज जिले के राजघाट बांध का रोज एक सेमी पानी पी रहा है, इससे डेड स्टोरेज पर पहुंचा बांध का जलस्तर और घटता जा रहा है। हालत यह है कि यदि अब यूपी-एमपी को प्यास बुझाने के लिए जरूरत पड़ी तो पूरे गेट खोलने के बाद भी बांध से एक बूंद भी पानी नहीं निकल पाएगा।


यूपी-एमपी को फसलों की सिचाई और लोगों की प्यास बुझाने के लिए पेयजल उपलब्ध कराने वाले राजघाट बांध का 30 सितंबर को जलस्तर 375 मीटर था, साथ ही बारिश के मौसम में अतिरिक्त पानी को लगातार कई दिन तक गेट खोलकर बांध से बहाना पड़ा था। लेकिन अब वह बांध खुद ही सूखने लगा है।

 

बांध में का जलस्तर 357.05 मीटर पर पहुंच गया है, इससे बांध में पानी सिर्फ डेड स्टोरेज में ही बचा है। वहीं सूरज की तीखी तपन के साथ पानी वाष्पीकृत होकर गायब होने लगा है। बेतवा रिवर बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक बांध से रोजाना एक सेमी पानी वाष्पीकृत हो रहा है, नतीजतन लगातार बढ़ रही गर्मी और धूप से रोजाना बांध का करोड़ों लीटर पानी भाप बनकर उड़ रहा है। इससे बांध का जलस्तर लगातार घट रहा है और बांध पूरी तरह से सूखने की कगार पर पहुंच चुका है।

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गर्मी में प्यास बुझाने यूपी-एमपी को दिया दो टीएमसी पानी-
यूपी के कई जिलों और एमपी के दतिया जिले को इस भीषण गर्मी में पीने के पानी की जरूरत पड़ी तो लोगों की प्यास बुझाने के लिए तीन बार में दो टीएमसी (थाउजेंड मिलियन क्यूबिक) पानी राजघाट बांध से छोड़ा गया था। राजघाट के गेट खोलकर पानी को बहाकर यूपी के माताटीला बांध में पहुंचाया गया, जहां से झांसी ने प्रदेश के दतिया और यूपी के कई जिलों को प्यास बुझाने के लिए पानी उपलब्ध कराया।


77 टीएमसी है बांध की भराव क्षमता-
यूपी और एमपी के बीच बने इस राजघाट बांध में पानी की भराव क्षमता 77.69 टीएमसी है, जबकि बारिश के मौसम में इतना ही पानी गेटों के माध्यम से बहाया गया था। लेकिन अब बांध का जलस्तर डेड स्टोरेज लेवल पर पहुंचने से बांध में 8 टीएमसी से भी कम पानी बचा है। इसी में पानी में से चंदेरी शहर की प्यास बुझाने के लिए रोजाना पानी दिया जाता है। इससे अब यह बांध भी सूखने की कगार पर पहुंचकर बारिश शुरू होने का इंतजार करता नजर आ रहा है।

 


जिले में अन्य 33 में से 32 बांध भी सूखे-
जिले में जल संसाधन विभाग के 94.462 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) भराव क्षमता के 33 बांध हैं, जिनसे जिले की हजारों हैक्टेयर जमीन की सिचाई होती है। साथ ही इन बांधों में पानी रहने से आसपास के गांवों में भू-जलस्तर भी पर्याप्त रहता है। लेकिन इस बार इन में 33 में से 32 बांध पूरी तरह से सूख चुके हैं। जिनमें कोंचा व मोला बड़े बांध हैं, लेकिन पहली बार दोनों तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं। इससे शहर की प्यास बुझाने वाले अमाही तालाब में ही पानी बचा हुआ है, लेकिन इस तालाब में भी वाष्पीकरण की वजह से पानी भाप बनकर उड़ रहा है।

गर्मी: 46.8 डिग्री पर पारा, सीजन का सबसे गर्म दिन-
सोमवार को गर्मी का पारा बढ़कर 46.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो सामान्य से 6.8 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। इससे सोमवार का दिन सीजन का अब तक का सबसे गर्म दिन रहा। वहीं सुबह 9 बजे से ही तेज गर्म हवाएं शुरू हो गईं, जो आधी रात तक जारी रहीं। मौसम विभाग ने जिले में लू का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। साथ ही आने वाले दो दिन तापमान में इसी तरह से बढ़ोत्तरी होने का अनुमान बताया है।


बढ़ती गर्मी से जिले में यह भी हालात-
– पीएचई के करीब 350 हैण्डपंप, 700 हैण्डपंप स्कूलों, आंगनवाडिय़ों और ग्राम पंचायतों के सूख चुके हैं। तो वहीं लोगों के घरों पर लगे निजी हैण्डपंप भी सूख गए। सभी मिलाकर जिले में करीब चार हजार हैण्डपंप सूख चुके हैं।
– नदियां और 1952 सार्वजनिक कुए भी जिले में पूरी तरह से सूख चुके हैं। लेकिन इन्हें न तो साफ कराया गया और न हीं कुओं के संरक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है। नतीजतन सार्वजनिक कुए भी अस्तित्व खोने लगे हैं।
– भू-जलस्तर लगातार घट रहा है और हालत यह है कि ट्यूबवेलों में भी पानी घट जाने से अब लोग पीने के पानी के लिए भटक रहे हैं। कई गांवों में लोगों को दूर-दूर से पीने का पानी ढ़ोकर लाना पड़ रहा है।


राजघाट बांध में जलस्तर डेड स्टोरेज में ही बचा है। बांध के गेट खोलने के बाद भी अब एक बूंद पानी बाहर नहीं निकल सकता है। रोजाना एक सेमी पानी वाष्पीकृत हो रहा है, इससे तालाब का पानी घट रहा है।
वीएन शर्मा, एसडीओ बेतवा रिवर बोर्ड राजघाट

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