समर्थन मूल्य: पंजीयन प्रक्रिया बनी किसानों की समस्या, नतीजा: पिछले साल से 47 फीसदी कम पंजीयन
पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी रकबे का हुआ पंजीयन, भटकते रहे किसान।
अशोकनगर
Published: March 11, 2022 09:55:50 pm
अशोकनगर. समर्थन मूल्य पर फसल बेचने पिछले साल की तुलना में इस बार जहां 47.27 फीसदी कम किसानों ने ही अपने पंजीयन करा पाए। तो वहीं पिछले साल की तुलना में इस बार जिले का सिर्फ 60.78 फीसदी रकबे की फसल का पंजीयन ही हो सका। साथ ही पंजीयन की अंतिम तारीख निकल चुकी है और पंजीयन न हो पाने से किसान भटकते रहे।
जिले में समर्थन मूल्य पर अनाज बेचने के लिए पिछले साल जहां 43 हजार 343 किसानों ने पंजीयन कराए थे, लेकिन इस बार सिर्फ 22 हजार 858 किसानों के ही पंजीयन हो सके। वहीं पिछले साल 159493.77 हेक्टेयर रकबे का पंजीयन हुआ था, लेकिन इस बार सिर्फ 96948.31 हेक्टेयर रकबे की फसलों का ही पंजीयन हो सका, जो पिछले साल की तुलना में 39.22 फीसदी कम है। हालांकि सैंकड़ों किसान पंजीयन कराने से इस बार वंचित रह गए, जो पंजीयन कराने के लिए भटकते रहे लेकिन पंजीयन की बदली हुई प्रक्रिया के चलते वह पंजीयन नहीं करा सके। उनका कहना है कि वह इस बार समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे।
खाते से आधार लिंक व खसरा-आधार में एक सा नाम बना परेशानी-
किसानों का कहना है कि इस बार जहां पंजीयन में खाता नंबर नहीं लिया गया और भुगतान के लिए आधार से लिंक बैंक खाते पर भुगतान की व्यवस्था की गई है। लेकिन कई किसानों का बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक नहीं हो सका। साथ ही पंजीयन में खसरा व आधार कार्ड में नाम एक जैसा होना अनिवार्य था, खसरा व आधार में एक जैसा नाम न होने की वजह से सैंकड़ों किसानों के पंजीयन नहीं हो सके। किसानों का कहना है कि जब पंजीयन कराने पहुंचे तो उनके पंजीयन ही नहीं हो सके। इससे वह पंजीयन कराने चक्कर लगाते रहे, लेकिन पंजीयन नहीं हो सके।
रकबा: पिछले साल से गेहूं कम, सरसों पौने तीन गुना ज्यादा-
कृषि उपसंचालक केएस केन के मुताबिक इस बार बोई गई फसलों में पिछले साल की तुलना में गेहूं का रकबा 11 हजार हेक्टेयर घटा है तो वहीं चना का रकबा भी दो हजार हेक्टेयर घट गया है। हालांकि मसूर का रकबा पिछले साल के बराबर ही है। लेकिन इस बार जिले में सरसों का रकबा 281 फीसदी बढ़ गया है, पिछले वर्ष जिले में 16 हजार हेक्टेयर में सरसों थीं, लेकिन इस बार 45 हजार हेक्टेयर में सरसों की फसल बोई गई थी। इससे इस बार सरसों के पंजीयन भी पिछले साल की तुलना में 45 फीसदी ज्यादा हुए।
वर्जन-
पिछले साल की तुलना में इस बार कम पंजीयन हुए हैं, खाते से आधार लिंक करने के लिए बैंकों व किसानों को निर्देश दिए थे बहुत किसानों ने लिंक करवा लिए और बहुत से किसान लिंक नहीं करा पाए। किसानों के मुताबिक खसरे व आधार में एक सा नाम न होना भी पंजीयन में समस्या बना। अंतिम तारीख निकल चुकी है और आगे बढऩे की कोई संभावना नहीं है।
रवि मालवीय, डिप्टी कलेक्टर अशोकनगर

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