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20 फीसदी आबादी को तीन दिन से नहीं मिला पानी, लोग पेयजल के लिए परेशान

locationअशोकनगरPublished: Feb 04, 2019 08:52:58 am

Submitted by:

Arvind jain

शहर में लाइन शिफ्टिंग बनी समस्या, – लीकेज में रोजाना बह रहा हजारों लीटर फिल्टर्ड पानी, पेयजल सप्लाई शुरू होते ही बारिश की तरह बहने लगती हैं नालियां।

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20 फीसदी आबादी को तीन दिन से नहीं मिला पानी, लोग पेयजल के लिए परेशान

अशोकनगर. वायपास निर्माण में पाइप लाइन शिफ्टिंग का कार्य लोगों की परेशानी बन गया है। हालत यह है कि शहर की करीब 20 फीसदी आबादी को तीन दिन से पानी नहीं मिला है और वह पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। जबकि शहर में जगह-जगह होने वाले लीकेज से हजारों लीटर फिल्टर्ड पानी नालियों में बहता देखा जा सकता है और पेयजल सप्लाई शुरू होते ही नालियां बारिश की तरह पानी से भरकर बहने लगती हैं।

वायपास रोड पर लाइन शिफ्टिंग के बाद लाइन के ज्वॉइंट भी जोड़ दिए गए हैं, लेकिन तीन दिन से घरों पर नलों से पानी की सप्लाई पूरी तरह से बंद है। शशींद्र राणा चौराहे पर पछाड़ीखेड़ा क्षेत्र के लिए लाइन जोड़ी जाने के बावजूद भी लोग पानी के लिए परेशान हैं। इससे शहर के पछाड़ीखेड़ा रोड, सोनी कॉलोनी और वेदांत भवन गली सहित शहर के कई मोहल्लों में पेयजल की सप्लाई तीन दिन से नहीं हो रही है।
वहीं पहले नपा द्वारा टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही थी, लेकिन अब नपा ने पानी के टैंकरों से भी सप्लाई बंद कर दी है, इससे लोग पीने के पानी के लिए भटकते नजर आ रहे हैं। सुखनंदन नामदेव ने बताया कि तीन दिन से नल न आने की वजह से पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है, नपा ने पानी के टैंकरों से भी सप्लाई बंद कर दी है और पाइप लाइन शिफ्टिंग के नाम पर नलों में भी सप्लाई बंद है। इससे दूर-दूर से पीने के लिए पानी की व्यवस्था करना पड़ रही है।

सड़कों पर खोदे जा रहे हैं गड्ढ़े-
शहर में सड़क बनने के बाद नल कनेक्शन के नाम पर बेरोकटोक खुदाई जारी है। हालत यह है कि अच्छी भली सड़कों पर नपा द्वारा नल कनेक्शन देने के नाम पर गहरे गड्ढ़े खोद दिए जाते हैं और बाद में इन गड्ढ़ों को भरा भी नहीं जाता है। इससे इन गड्ढ़ों के पास से ही सड़कें उखड़कर खराब होने लगती हैं। शहरवासियों का कहना है कि सड़क निर्माण से पहले गड्ढ़े खोदे जा सकते थे, लेकिन निर्माण के बाद सड़कों को इसी तरह से मनमाने तरीके से गड्ढ़े खोदकर खराब किया जा रहा है। शहरवासियों का कहना है कि इससे निर्माण में खर्च हुई राशि तो बेकार चली ही जाती है, वहीं लोगों को भी आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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