ईसागढ़ ब्लॉक में कुल 81 हजार 600 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। इस भूमि पर कृषि विभाग ने इस बार रबी फ सल की बुवाई के लिए लगभग 77 हजार हेक्टेयर का रकबा तय किया है।
बीते साल तय लक्ष्य से लगभग 8 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फ सल की कम बुवाई हुई थी। लेकिन इस बार खेतों में पर्याप्त नमी को देखते हुए रबी फ सल का रकबा तय रकबे से ज्यादा बडऩे की उम्मीद है। यही कारण है कि खाद और बीज के लिए किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। हालांकि, कृषि और सेवा सहकारी समितियां पर्याप्त खाद बीज होने का दावा कर रही हैं। लेकिन ज्यादातर किसानों द्वारा पुराना कर्जा नहीं चुकाने पर उन्हें खाद मजबूरी में अन्य दुकानों से खरीदना पड़ रहा है।
1250 की वसूली, बिल 971 रूपए का
क्षेत्र के ज्यादातर किसान अपनी उपज बेचने के लिए जिला मुख्यालय स्थित मंडी पहुंचते हैं। फ सल बेचकर यहां से वह खाद और बीज भी खरीद लाते हैं। लेकिन भोले भाले किसानों को कई खाद व्यापारी जमकर चूना लगाते हैं। किसान बलवंत सिंह ने बताया कि मंगलवार को वह अशोकनगर खाद लेने गए थे।
व्यापारी सरकारी खजाने को लगा रहे हैं पलीता
जानकारों की मानें तो बोरी पर खाद की कम कीमत दर्ज करने के बाद उसे महंगे दामों पर बेचकर व्यापारी किसानों को तो ठग ही रहे हैं, साथ ही सरकार को भी राजस्व का चूना लगा रहे हैं। दरअसल, वस्तु पर दर्ज अधिकतम मूल्य के हिसाब से ही निर्माता, थोक और फु टकर व्यापारियों पर विभिन्न टैक्स तय किए जाते हैं।
ऐसे में अगर वस्तु पर कम दाम होगा तो निर्माण एजेंसी और व्यापारी को टैक्स भी कम देय होगा। यही कारण है कि बोरी पर कम दाम दर्ज कर उसे ज्यादा दामों पर बेचने से सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है खाद का खेल
किसान जगराम सिंह, मजबूत सिंह, राधेलाल के अलावा अन्य ने बताया कि खाद का खेल प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है। खाद और बीज की ज्यादातर दुकानें कृषि उपज मंडी के आसपास ही हैं, वहीं कृषि उप संचालक का दफतर भी मंडी परिसर में ही है। लेकिन दुकानदारों को किसी भी अधिकारी का डर नहीं है और अपनी मर्जी के मुताबिक खाद के दाम तय कर किसानों को लूट रहे हैं।
ब्लाक मुख्यालय के अलावा नईसराय और कदवाया में भी खाद विक्रेताओं की कई दुकानें हैं। हालांकि, यह दुकानदार वैध हैं या फि र अवैध इस बात का पता किसानों को नहीं है। लेकिन इन दुकानों पर खाद के दाम सरकार के हिसाब से नहीं, बल्कि दुकानदारों की मर्जी से तय किए जाते हैं।
बोरी पर दर्ज खुदरा मूल्य से ज्यादा मूल्य नहीं लिया जा सकता। अगर ईसागढ़ ब्लाक में ऐसा कहीं हो रहा है तो मैं दिखवाता हूॅ। खाद और दवाई विक्रेता तय मापदंड के हिसाब से दुकानों का संचालन करें इस बात की भी उन्हें सख्त हिदायत दी जाएगी।
मेहताब सिंह गुर्जर एसएडीओ कृषि विभाग ईसागढ़