जिनके मकान गिरे उन्हें राहत तो दूर, सुध लेने भी नहीं पहुंचे अधिकारी
पिछले 32 घंटे में सुबह आठ बजे तक शहर सहित आसपास के क्षेत्र में पांच इंच से ज्यादा (13 सेमी) बारिश हो चुकी है।

अशोकनगर. पिछले 32 घंटे में सुबह आठ बजे तक शहर सहित आसपास के क्षेत्र में पांच इंच से ज्यादा (13 सेमी) बारिश हो चुकी है। इससे जहां शहर के आसपास के छोटे नाले दूसरे दिन भी उफान पर आ गए, तो वहीं सैकड़ों हेक्टेयर खेतों में पानी भर गया, इससे उड़द-सोयाबीन की फसल खेतों में ही डूबी हुई है।
वहीं शहर में जो तीन दर्जन से अधिक कच्चे मकान धरासायी हो गए, उन्हें राहत की बात तो दूर कोई भी अधिकारी-कर्मचारी उनकी सुध लेने तक नहीं पहुंचा। नतीजतन यह परिवार पड़ोसियों के घरों पर खाने और रहने के लिए मजबूर हैं।
शहर में सोमवार को दिन में भी तेज बारिश हुई और दिनभर रिमझिम बारिश का दौर जारी रहा। हालांकि गलियों का पानी घरों में भर जाने के बाद पानी तो निकल गया, लेकिन अब इन परिवारों के कच्चे घर नीचे से गलने लगे हैं और उनके धरासाई होने की आशंका है।
वहीं जिनके घर धरासायी हो गए वह अब रहने के लिए परेशान हो रहे हैं। सोमवार शाम तक तहसील या नपा से कोई भी अधिकारी-कर्मचारी न तो उनके नुकसान का सर्वे करने पहुंचा और न हीं उन्हें कोई राहत उपलब्ध कराई गई। पत्रिका ने पड़ताल की तो हालत यह मिली कि माता मंदिर रोड निवासी सुंदरलाल का परिवार अपने दो पक्के कमरों और पड़ौस की एक दुकान में रहने मजबूर है।
वहीं विदिशा रोड निवासी महिला मुन्नीबाई भी अपना घर गिर जाने से पड़ोसियों के यहां रहने के लिए मजबूर हैं और गृहस्थी भी न बचने से भोजन व्यवस्था तक की परेशानी आ गई है। वहीं मगरदा नाले के उफान के साथ घर बह जाने से विजयकुमार ओझा अपने परिवार के साथ गांव वापस चले गए हैं, क्योंकि उनका पूरा गृहस्थी का पूरा सामान भी नाले के तेज बहाव में बह चुका है। यही स्थिति शहर के उन अन्य परिवारों की है, जिनके घर गिर गए हैं।
डूबी सैकड़ों हेक्टेयर की फसल
नदी नालों के उफान पर आने से जहां कई जगहों पर किनारे के खेतों में खड़ी उड़द-सोयाबीन की फसल उखड़ गई, तो वहीं सैंकड़ों हेक्टेयर जमीन में पानी भर जाने से फसल खेतों में ही डूब गई है। इससे खेत अब तालाबों में तब्दील हो चुके है और पानी में डूबने की वजह से फसलों के गलकर खराब होने की आशंका है। वहीं धान लगाकर खेतों में बनाई गई मिट्टी की पारें भी पानी के बहाव में टूटकर बह गईं, इससे किसानों को फिर से पार तैयार करना पड़ेगी।
ढाई फीट ऊपर बहते पानी से होकर निकले लोग
तुलसी सरोवर तालाब ओवरफ्लो हो जाने से आंवरी और जमाखेड़ी का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया। तालाब का पानी रास्ते पर ढ़ाई फिट ऊंचा बह रहा है। जिससे स्कूल जाने के लिए बच्चे इसी पानी में से होकर निकले तो वहीं ग्रामीण भी दिनभर बहते पानी में से होकर निकलते देखे गए। ग्रामीणों का कहना है कि अब उन्हें गांव आने-जाने के लिए बारिश के पूरे मौसम में इसी तरह से पानी में से ही होकर निकलना पड़ेगा। वहीं शहर में भी बच्चों को स्कूल परिसरों में भरे पानी में से होकर निकलना पड़ा। इसके अलावा दिन भर रिमझिम बारिश जारी रहने से ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादातर स्कूलों का तो ताला तक नहीं खुला।
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