scriptरिकॉर्ड से गायब हजारों किसानों के खेत, पंजीयन भी नहीं करा पा रहे 10 हजार किसान | Thousands of farmers' fields missing from record in madhya pradesh | Patrika News

रिकॉर्ड से गायब हजारों किसानों के खेत, पंजीयन भी नहीं करा पा रहे 10 हजार किसान

locationअशोकनगरPublished: Feb 20, 2020 08:38:27 am

– जमीन रिकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी: शासकीय जमीनों पर दर्ज हुए लोगों के नाम, फिर भी गंभीर नहीं जिम्मेदार। – भू-अभिलेख उपायुक्त बोले पकड़ में नहीं आ रही गलती, ट्रेस करने में जुटी हुई है टीम।

रिकॉर्ड से गायब हजारों किसानों के खेत, पंजीयन भी नहीं करा पा रहे 10 हजार किसान

रिकॉर्ड से गायब हजारों किसानों के खेत, पंजीयन भी नहीं करा पा रहे 10 हजार किसान

अशोकनगर@अरविंद जैन की रिपोर्ट…

जिले की जमीनों के रिकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी हुई है, सैंकड़ों बीघा शासकीय जमीनों पर लोगों के नाम दर्ज हो गए हैं तो वहीं हजारों किसानों के खेत ही रिकॉर्ड से गायब हो गए हैं। लगातार तीन माह से जारी इस गड़बड़ी की जानकारी होने के बाद भी कार्रवाई की बात तो दूर, गड़बड़ी करने वालों को अब तक नोटिस तक जारी नहीं हुआ है। नतीजतन रिकॉर्ड से जमीन गायब होने से अब जिले के 10 हजार किसान तो फसलों का पंजीयन भी नहीं करा पा रहे हैं।
जिले की जमीनों का रिकॉर्ड एनआईसी के सॉफ्टवेयर पर था, जिसे सितंबर 2018 में वेब जीआईएस के सॉफ्टवेयर पर ट्रांसफर किया तो जिले की जमीनों का रिकॉर्ड गायब हो गया। हालत यह है कि चंदेरी तहसील के हिरावल पटवारी हल्के के दिनौला में सर्वे नंबर की 52.658 हेक्टेयर शासकीय जमीन दीपचंद पुत्र परसादी लोधी, कप्तान, नवल, धीरज पुत्र भैयालाल और बेटीबाई वेबा भैयालाल के नाम से दर्ज हो गई।
यह 52.658 हेक्टयेर की यह शासकीय जमीन नदी की है, लेकिन अब लोगों के नाम से दर्ज हो गई है। वहीं मीठाखेड़ा गांव में 31.883 हेक्टेयर शासकीय जमीन रिकॉर्ड में सरदार खां पुत्र रसूल खां के नाम दर्ज हो गई। अन्य कई गांवों में शासकीय जमीनों पर इसी तरह से लोगों के नाम दर्ज हो गए हैं। वहीं बिक्री निषेध जमीनों से अहस्तांतरणीय शब्द हट गया और बैंकों में बंधक जमीनों से बंधक शब्द गायब हो गया।
उपायुक्त बोले पकड़ में ही नहीं आ रही सॉफ्टवेयर में गलती-
भू-अभिलेख उपायुक्त, एनआईसी और वेब जीआईएस के अधिकारियों ने 14 जनवरी को जिले में आकर जांच की और रिकॉर्ड में हुई इस बड़ी गड़बड़ी की पुष्टि की थी। साथ ही भू-अभिलेख उपायुक्त ने वेब जीआईएस के अधिकारियों को तीन दिन में रिकॉर्ड सुधारने के निर्देश दिए थे, लेकिन 35 दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ।
भू-अभिलेख उपायुक्त का कहना है कि गलती पकड़ में नहीं आ रही है और टीम ट्रेस करने में लगी हुई है। वहीं मंगलवार को भी वेब जीआईएस के स्टेट ट्रेनर आदिल कुरेशी ने फिर से जांच की और पटवारियों ने रिकॉर्ड की गड़बडिय़ां उन्हें बताईं।
बड़ा सवाल: आखिर गंभीर क्यों नहीं जिम्मेदार?
समर्थन मूल्य पर फसलों को बेचने के लिए गेहूं, चना, मसूर और सरसों के पंजीयन हो रहे हैं। 28 फरवरी पंजीयन की अंतिम तारीख है, लेकिन रिकॉर्ड से जमीनें गायब होने से किसान पंजीयन नहीं करा पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि तीन महीने से रिकॉर्ड से उनकी जमीनें गायब हैं।
बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जमीन रिकॉर्ड में इतनी बड़ी गड़बड़ी होने पर भी आखिर जिम्मेदार गंभीरता क्यों नहीं दिखा रहे हैं, यदि इन जमीनों की बिक्री हो गई तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा।
यहां रिकॉर्ड से ही गायब हो गए हजारों किसानों के खेत-
– पिपरई तहसील के पटवारी हल्का मूडराकला में मूडराकला व दौलतपुर गांव हैं, जिनमें 1166 सर्वे नंबर थे, लेकिन वेब जीआईएस पर स्थित भू-अभिलेख के रिकॉर्ड में दोनों गांवों के 119 सर्वे नंबर ही दिख रहे थे, 1047 सर्वे नंबर गायब हैं।
– पिपरई तहसील के पटवारी हल्का खैराई में खैराई, बक्सनपुर, खैरपुर, गोविंदखेड़ी गांव शामिल हैं। चारों गांवों में 2035 सर्वे नंबर थे, लेकिन भू-अभिलेख रिकॉर्ड में सिर्फ 295 सर्वे नंबर ही दिख रहे हैं। 1740 खेत रिकॉर्ड से गायब हैं।
जमीन रिकॉर्ड में यह भी हैं गड़बडिय़ां-
– बीसोर गांव के दो सर्वे नंबरों की 10 बीघा शासकीय जमीन रिकॉर्ड में लोगों के नाम से दर्ज हो गई हैं।
– बैधाई गांव में 9 बीघा शासकीय जमीन भू-अभिलेख के ऑनलाइन रिकॉर्ड से गायब हो चुकी है।
– तीन महीने पहले जिन्होंने जमीनें बेच दी थीं, वह जमीन अब रिकॉर्ड में फिर से विक्रेता के नाम पर दर्ज हो गई हैं।

पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद हमने जांच कराई तो रिकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी पाई गई थी। वेब जीआईएस को तीन दिन में सुधार करने के निर्देश दिए थे, तीन दिन पहले मेरी फिर से बात हुई है उनका कहना है कि गलती पकड़ में नहीं आ रही है और ट्रेस कर रहे हैं। पूरा मामले का प्रतिवेदन बनाकर हमने आयुक्त भू-अभिलेख को भेज दिया है।
– प्रमोद शर्मा, उपायुक्त भू-अभिलेख ग्वालियर
एनआईसी से वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर में डाटा ट्रांसफर करते समय जमीन रिकॉर्ड में यह गड़बड़ी हुई। इससे डर है कि यदि किसी ने शासकीय जमीन बेच दी तो जिम्मेदार कौन होगा। वेब जीआईएस कंपनी इसे सुधार नहीं पा रही है, लंबा समय हो गया है, किसान भटक रहे हैं। हमारी मांग है कि एनआईसी की तरह डाटा पटवारियों को दिया जाए।
– बलवीरसिंह यादव, जिलाध्यक्ष पटवारी संघ अशोकनगर
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