भू-अभिलेख उपायुक्त, एनआईसी और वेब जीआईएस के अधिकारियों ने 14 जनवरी को जिले में आकर जांच की और रिकॉर्ड में हुई इस बड़ी गड़बड़ी की पुष्टि की थी। साथ ही भू-अभिलेख उपायुक्त ने वेब जीआईएस के अधिकारियों को तीन दिन में रिकॉर्ड सुधारने के निर्देश दिए थे, लेकिन 35 दिन बीत जाने के बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ।
समर्थन मूल्य पर फसलों को बेचने के लिए गेहूं, चना, मसूर और सरसों के पंजीयन हो रहे हैं। 28 फरवरी पंजीयन की अंतिम तारीख है, लेकिन रिकॉर्ड से जमीनें गायब होने से किसान पंजीयन नहीं करा पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि तीन महीने से रिकॉर्ड से उनकी जमीनें गायब हैं।
– पिपरई तहसील के पटवारी हल्का मूडराकला में मूडराकला व दौलतपुर गांव हैं, जिनमें 1166 सर्वे नंबर थे, लेकिन वेब जीआईएस पर स्थित भू-अभिलेख के रिकॉर्ड में दोनों गांवों के 119 सर्वे नंबर ही दिख रहे थे, 1047 सर्वे नंबर गायब हैं।
– पिपरई तहसील के पटवारी हल्का खैराई में खैराई, बक्सनपुर, खैरपुर, गोविंदखेड़ी गांव शामिल हैं। चारों गांवों में 2035 सर्वे नंबर थे, लेकिन भू-अभिलेख रिकॉर्ड में सिर्फ 295 सर्वे नंबर ही दिख रहे हैं। 1740 खेत रिकॉर्ड से गायब हैं।
– बीसोर गांव के दो सर्वे नंबरों की 10 बीघा शासकीय जमीन रिकॉर्ड में लोगों के नाम से दर्ज हो गई हैं।
– बैधाई गांव में 9 बीघा शासकीय जमीन भू-अभिलेख के ऑनलाइन रिकॉर्ड से गायब हो चुकी है।
– तीन महीने पहले जिन्होंने जमीनें बेच दी थीं, वह जमीन अब रिकॉर्ड में फिर से विक्रेता के नाम पर दर्ज हो गई हैं।
पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद हमने जांच कराई तो रिकॉर्ड में बड़ी गड़बड़ी पाई गई थी। वेब जीआईएस को तीन दिन में सुधार करने के निर्देश दिए थे, तीन दिन पहले मेरी फिर से बात हुई है उनका कहना है कि गलती पकड़ में नहीं आ रही है और ट्रेस कर रहे हैं। पूरा मामले का प्रतिवेदन बनाकर हमने आयुक्त भू-अभिलेख को भेज दिया है।
– प्रमोद शर्मा, उपायुक्त भू-अभिलेख ग्वालियर
– बलवीरसिंह यादव, जिलाध्यक्ष पटवारी संघ अशोकनगर