बाजार बंद: जीएसटी और ई-कॉमर्स की जटिल नीतियां बताकर व्यापारियों ने जताया विरोध
- व्यापारी बोले- जीएसटी नहीं भरने पर संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान, इससे खत्म हो जाएंगे व्यापार
- मंडी और मेडीकल सहित सभी दुकानें रहीं बंद, दोपहर एक बजे खुल गया पूरा बाजार

अशोकनगर। जीएसटी व ई-कॉमर्स की नीतियों को जटिल बताते हुए व्यापारियों ने बाजार बंद कराकर विरोध जताया। जिसमें कृषि मंडी और व्यापारिक प्रतिष्ठान व दुकानें बंद रहीं, वहीं बंद के समर्थन में पहली बार शहर की मेडीकल दुकानें भी बंद रहीं। इससे लोग दवाईयों के लिए भटकते रहे।
कैट के आह्वान पर बाजार बंद कराया। इससे शुक्रवार को सुबह से ही मुख्य बाजार, गांधी पार्क, इंदिरा पार्क, सुभाष गंज क्षेत्र में सराफा, कपड़ा, किराना, इलेक्ट्रॉनिक व मेडीकल, मोबाइल, सहित सभी दुकानें बंद रहीं। वहीं स्टेशन रोड, कलेक्ट्रेट रोड और पछाड़ीखेड़ा क्षेत्र में भी बड़ी दुकानें बंद रहीं। हालांकि मिठाई और चाय-नाश्ता की दुकानें व सब्जी-फल और हाथठेलों पर लगने वाली दुकानें खुली रहीं। लेकिन मेडीकल और किराना दुकानें बंद रहने से लोग भटकते रहे और दुकानें खुलने के इंतजार में दुकानों के बाहर बैठे रहे। दोपहर एक बजते ही सभी दुकानें खुल गईं और दुकानों पर भीड़ लग गई। गुरुवार रात को सुभाषगंज में व्यापारिक संगठनों की बैठक के बाद बाजार बंद का निर्णय लिया गया था। किराना व्यापारियों ने दिनभर दुकानें बंद रखीं।

आधी शटर खोलकर चली गलियों में दुकानदारी
शहर के मुख्य बाजार की गलियों में दुकानदारों ने बंद के समर्थन में अपनी दुकानें तो बंद कर दीं, लेकिन बंद के दौरान आधी शटर खोलकर कुछ दुकानदार सामान बेचते रहे तो वहीं कुछ दुकानों पर शटर लगा होने के बाद भी गेट पर जूता-चप्पलों का ढ़ेर लगा रहा और ग्राहक अंदर दुकान में बैठकर खरीदारी करते रहे। वहीं कृषि मंडी में अनाज की खरीद बंद रही और तीन किसान अनाज लेकर पहुंचे तो वापस लौटा दिया। लेकिन मंडी में व्यापारियों के फड़ों पर काम चलता रहा।

व्यापारी बोले: जीएसटी नहीं भरने पर संपत्ति कुर्क का प्रावधान
व्यापारियों का कहना है कि यदि कोई व्यापारी या दुकान जीएसटी नहीं भरता है तो उसकी संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है। साथ ही व्यापारी, मुनीम, सीए व व्यापारी के कर्मचारियों से वसूली का प्रावधान है और उनकी भी संपत्ति कुर्क की जा सकेगी। व्यापारियों का कहना है कि ऐसी ही कई जटिल नीतियां हैं और जो व्यापारी के साथ उसके कर्मचारियों के लिए भी नुकसानदायक हैं। व्यापारियों की मांग है कि जीएसटी की जटिल नीतियों को समाप्त किया जाए, ताकि व्यापार खत्म न हो सकें।
व्यापारियों ने कहा- यह नीतियां भी गलत-
- पंजीकरण की धारा 29 या नियम 21ए के तहत अधिकारी को लगता है तो बिना सुनवाई पंजीयन रद्द कर सकता है।
- यदि दो महीने की का जीएसटीआर-3बी फाइल नहीं करते हैं तो व्यापारी ई-वे बिल भी नहीं नहीं कर पाएंगे।
- ई-वे बिल में कोई गलती है तो टैक्स के एमाउंट की 200 प्रतिशत पैनल्टी लगेगी, इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर से भुगतान करना होगा।
- यदि किसी गलती से आपने अधिक इनपुट क्रेडिट ले लिया है तो उस व्यापारी या दुकानदार के लिए पोर्टल लॉक हो जाएगा।
- शासन 4 साल में 950 संसोधन कर चुकी है और चार साल हो जाने पर भी अपीलेंट ट्रिब्यूनल गठित नहीं किया है।
- ई-वे बिल की वैलिडिटी प्रतिदिन 100 किमी कर दी गई है, जो कि संभव ही नहीं है।

इनका कहना है-
नए प्रावधान अनुसार जीएसटी पंजीयन निरस्त कराने आवेदन देने के बाद भी यदि पंजीयन निरस्त नहीं हुआ तो पूर्वानुसार टैक्स जमा करना होगा। जरा सी त्रुटि होने पर कई गुना पैनल्टी व 24 प्रतिशत ब्याज का प्रावधान है, जबकि बैंक रेट सात-आठ प्रतिशत है। इससे व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा।
अशोक जैन, अध्यक्ष ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन अशोकनगर
नए प्रावधान में ई-वे बिल 100 किमी प्रतिदिन कर दिया है, जो कि संभव ही नहीं है। विक्रेता ने बी-2 बिल नहीं चढ़ाया और क्रेता ने चढ़ा दिया व बैंक से पैमेंट हुआ है तो भी खरीदार को आईटीसी नहीं मिलेगी। जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर वन में त्रुटि होने पर कोई सुधार प्रक्रिया नहीं हैं। व्यापारियों ने आज ऐतिहासिक बंद रखा।
भारतभूषण अग्रवाल, अध्यक्ष किराना एसोसिएशन अशोकनगर
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