बड़ी कक्षाओं के टयूशन सेंटरों पर अल सुबह से लेकर देर रात तक बच्चों की भीड़ लगी रहती है। कई कोचिंग सेंटर तो ऐसे हैं, जिनके 10 बाय 12 के एक कमरे में 25 से 30 बच्चों को तक बैठाया जाता है। ऐसे में छात्र-छात्राओं को होने वाली परेशानी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार शासकीय शिक्षकों को टयूशन पढ़ाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। बावजूद इसके कई सरकारी शिक्षक बेखौफ ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। यह शिक्षक स्कूलों में तो तय समय से देरी से पहुंचते ही हैं, साथ ही स्कूल का समय पूरा होने के पहले ही रवानगी डाल देते हैं।
प्रायोगिक परीक्षा में बेहतर अंक और स्कूलों में पढ़ाई पिछडऩे का खामियाजा गरीब बच्चों को चुकाना पड़ता है। दरअसल, टयूशन सेंटर संचालक प्रति छात्र से विषयवार 200 रुपए से लेकर 400 रुपए प्रति महीना तक वसूलते हैं। ऐसे में गरीब बच्चों को परेशानी होना स्वभाविक है। लेकिन प्रायोगिक परीक्षा में बेहतर अंकों के लिए बच्चों को मजबूरी में ट्यूशन करना पड़ती है।
नगर में ट्यूशन पर रोक के लिए समिति का गठन किया गया था। इसमें एसडीएम और तहसीलदार के अलावा विकास खंड शिक्षा अधिकारी को भी शामिल किया गया था। लेकिन गठन के बाद से लेकर अब तक समिति द्वारा किसी ट्यूशन सेंटर पर कार्रवाई नहीं की। जब समिति का गठन हुआ था तब कुछ समय के लिए समिति द्वारा भ्रमण कर ट्यूशन सेंटरों की जानकारी एकत्रित की गई थी। लेकिन एक सप्ताह बाद यह मुहिम पूरी तरह से ठंडी पड़ गई।
हमने जब-जब ट्यूशन सेंटरों पर छापा मारा, सेंटर पूरी तरह से बंद मिले। अब हम एक पूरी रणनीति के तहत काम करेंगे। इसके तहत पहले ट्यूशन सेंटरों की रैकी कराई जाएगी और फि र कार्रवाई। फि लहाल निर्वाचन कार्य की व्यस्तता चल रही है। यही कारण है कि फि लहाल कार्रवाई संभव नहीं है।