अस्पताल में हुई मुलाकात से अनोखी शादी तक
इस अनोखी शादी की नींव तीन दिन पहले ही रखी गई थी। तब बुजुर्ग उमराव सिंह अस्पताल में भर्ती थे और पास के ही बैड पर भर्ती थीं गुड्डीबाई। दोनों का अस्पताल में इलाज चल रहा था और इसी बीच इनके बीच हुई मुलाकात तीन दिन के अंदर ही प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी करने का फैसला लिया। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद उमराव सिंह गुड्डीबाई को अपने साथ ऑटो से अपने गांव भूराखेड़ी ले आए जहां उन्होंने अपने बच्चों और बहुओं से चर्चा की जिसके बाद बेटों-बहुओं की रजामंदी के बाद पूरे गांव के सामने गुड्डीबाई के साथ सात जन्मों के बंधन में बंध गए।
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बेटे-बहु और नाती बने बाराती
बुजुर्ग उमराव सिंह के चार बेटे हैं और चारों की शादी हो चुकी है इतना ही नहीं उनके 12 नाती भी हैं जिनमें से एक नाती की भी शादी हो चुकी है। उमराव सिंह की पत्नी का तीन साल पहले देहांत हो चुका है वहीं गुड्डी बाई के भी दो बेटे और एक बेटी है उनकी भी शादी हो चुकी है। गुड्डीबाई के पति की मौत 30 साल पहले हो चुकी है। जब उमराव गुड्डीबाई को लेकर अपने घर पहुंचे और बेटों को अपनी इच्छा बताई तो बेटों ने भी सहमति दे दी। इतना ही नहीं पिता की शादी की बंदोबस्त किया। गांव के सरपंच और सचिव के सामने जयमाला हुई और दादा की बारात में उमराव के 12 नाती भी झूमते गाते शामिल हुए। उमराव के बड़े बेटे गजराज ने नाचते हुए पिता के हाथों में जयमाला दी जो उन्होंने गुड्डीबाई को पहनाई। शादी में ढोल नगाड़े बजाए गए व दोनों नवदंपति को उपहार में ग्रामीणों ने कपड़े भी भेंट किए, पूरे गांव में बताशे बंटवाकर ओंकार और गुड्डीबाई की शादी की खुशियां बांटी गईं।