शाढ़ौरा तहसील क्षेत्र के नगऊखेड़ी, बमूरिया और बलदाई गांव के करीब पांच दर्जन से अधिक ग्रामीणों ने गुरुवार को दोपहर करीब 12 बजे बमूरिया गांव में सड़क पर आवारा गाय-बैलों के झुंड को खड़ा करके जाम कर दिया। इससे गुना-अशोकनगर रोड पर वाहनों की आवाजाही रुक गई। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में आवारा गाय-बैलों की संख्या बढ़ती जा रही है और अन्य गांवों के लोग वाहनों में गाय-बैलों को भरकर इन गांवों में छोड़ जाते हैं। इससे यह जानवर खेतों में पहुंचकर फसलों को चौपट कर रहे हैं और गांवों में भी आवाजाही में समस्या का कारण बन रहे हैं।
जाम को खुलवाया
जाम की जानकारी मिलते ही थाना प्रभारी सोनम रघुवंशी और नायब तहसीलदार आलोक श्रीवास्तव मौके पर पहुंचे, जिन्होंने ग्रामीणों को समझाया। लेकिन ग्रामीण एक ही बात पर अड़े रहे कि इन आवारा मवेशियों को या तो गौशालाओं में भिजवाया जाए या फिर प्रशासन जंगल में छुड़वाए। लेकिन अधिकारी ग्रामीणों की समस्या का मौके पर कोई हल नहीं निकाल सके, तो बाद में अधिकारी कुछ ग्रामीणों को बात करने के लिए एडीएम के पास लेकर आए। साथ ही जाम को खुलवाया।
ग्रामीण बोले दूसरे गांवों के लोग करते हैं विवाद-
बलदाई निवासी वीरेंद्र यादव, अर्जुनसिंह और बमूरिया निवासी राकेश यादव सहित ग्रामीणों का कहना था कि गांव में प्रत्येक घर में लोग चार से पांच आवारा मवेशियों को बांधे हुए हैं, ताकि अपनी फसलों को बचा सकें। लेकिन अन्य गांव के लोग रात के समय वाहनों में भरकर यहां पर मवेशियों को छोड़ जाते हैं।
ग्रामीणों ने कहा कि जब वह इन आवारा मवेशियों को घेरकर अन्य जगह छोडऩे के लिए लेकर जाते हैं तो रास्ते के अन्य गांवों के ग्रामीण विवाद करते हैं और उन मवेशियों को उनके गांवों में से निकलने नहीं देते हैं। इससे रोजाना ही विवाद हो रहे हैं। समझाने पहुंचे अधिकारियों से भी चक्काजाम करने वाले ग्रामीणों का एक ही सवाल था कि अब इन आवारा मवेशियों का कहां भेजें और कैसे भेजें।
इसी समस्या पर पिछले वर्ष हुआ था बड़ा विवाद-
यह सिर्फ तीन ही गांव की समस्या नहीं, बल्कि जिले के सड़क किनारे स्थित ज्यादातर सभी गांवों और शहर में यही हालात हैं। जहां रोजाना ही आवारा मवेशियों की बढ़ती संख्या से ग्रामीण परेशान हैं और हालत यह हो गई है कि ग्रामीणों को रात के समय भी अपनी फसलों की रखवाली करने के लिए खेतों पर रुकना पड़ रहा है।
पिछले वर्ष ऐसे ही आवारा मवेशियों को अन्य जगह छोडऩे के लिए जब शाढ़ौरा के लोग जा रहे थे तो बेहटा गांव में उनका विवाद हो गया था। इसमें लोगों ने एक-दूसरे की लाठियों से मारपीट की थी और एक व्यक्ति का पैर टूट गया था।
समस्या: जिले की गौशालाओं में भी नहीं जगह-
प्रशासन के सामने भी इन गाय-बैलों को गौशालाओं में भिजवाने का विकल्प नहीं है, क्योंकि जिले की ज्यादातर सभी गौशालाएं पूरी तरह से भरी हुई हैं और उनमें जगह नहीं बची है। इस समस्या के निराकरण के लिए जिला प्रशासन को कोई सख्त कदम उठाना चाहिए, ताकि लोग अपने जानवरों को आवारा न छोड़कर घरों पर ही बांधे रखें। ग्रामीणों का कहना है कि जिला प्रशासन की सख्ती के बाद ही आवारा जानवरों की समस्या खत्म हो सकेगी।