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राष्ट्रीय राज्यमार्ग पर ग्रीन हाइवे पॉलिसी का उल्लंघन, जन हित याचिका के बाद सौंपी रिपोर्ट में हुआ खुलासा

locationअशोकनगरPublished: May 17, 2022 09:33:37 pm

Submitted by:

Arvind jain

सड़क किनारे न लगे पेड़, न बीच में रोपी बोगनवेलिया, अशोकनगर के वकील विभोर साहू ने लगाई थी पीआईएल

Violation of green highway policy

Violation of green highway policy



ईसागढ़. .ग्वालियर से गुना तक एनएचएआई ने बनाए गए फोरलेन हाइवे पर ग्रीन हाइवे पॉलिसी का जमकर उल्लंघन किया है। पॉलिसी के तहत हाइवे के किनारे फलदार और बीच में खाली पड़ी जगह में बोगनवेलिया रोपे जाना चाहिए थे। लेकिन कुछ स्थानों को छोड़कर समूचे हाइवे पर ऐसा कुछ नहीं किया। इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब अशोकनगर निवासी और ग्वालियर खंडपीठ में कार्यरत एक वकील ने इस संबंध में उच्च न्यायालय में जन हित याचिका दायर की। जन हित याचिका की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एक तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी की जांच में भी हाइवे निर्माण के दौरान ग्रीन हाइवे पॉलिसी का उल्लंघन किया जाना पाया। इसकी रिपोर्ट भी खंडपीठ को सौंप दी गई है। कमेटी ने कोर्ट में सौंपी रिपोर्ट में वीडियो फुटेज और फोटो ग्राफ भी दिए हैं।
कभी एनएच-3 आगरा- मुम्बई राष्ट्रीय राज्य मार्ग के रूप में पहचानी जाने वाली टू लेन की सड़क का लगभग पांच साल पहले कायाकल्प किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय राज्यमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने ग्वालियर से रूठियाई तक लगभग 230 किमी की फोर लेन सड़क का निर्माण कराया है। नियमानुसार इस तरह के हाइवे के निर्माण में निर्माण एजेंसी को गाइड लाइन का पालन करना चाहिए। लेकिन इस सड़क पर ग्रीन हाइवे पॉलिसी का जमकर उल्लंघन हो रहा है। एडव्होकेट विभोर साहू की मानें तो ग्रीन हाइवे पॉलिसी के तहत सड़क किनारे हर दस मीटर पर फलदार और छायादार पौधे लगाए जाना चाहिए। जबकि सड़क के बीच में छोड़ी गई खाली जगह में बोगलवेलिया रोपी जाना चाहिए थी। जानकारों की मानें तो सड़क किनारे बोगनवेलिया होने से विपरीत दिशा से आ रहे वाहनों की हेडलाइट वाहन चालकों की आंखें तक नहीं पहुंच पाती। इस कारण दुर्घटना होने की आशंका 80 फीसदी से भी ज्यादा कम हो जाती है। इतना महत्वपूर्ण कार्य होने के बाद भी निर्माण एजेंसी ने इस काम को पूरा किए जाने में कोई रूचि नहीं दिखाई। जबकि ग्वालियर से रूठियाई के बीच लगभग आधा दर्जन स्थानों पर भारी भरकम टोल वसूला जा रहा है।
कमेटी बोली कुछ स्थानों पर ही हुआ है काम-
फोरलेन हाइवे निर्माण के दौरान ग्रीन हाइवे पॉलिसी का पालन नहीं किए जाने पर अशोकनगर निवासी और वर्तमान में ग्वालियर खंडपीठ में कार्यरत वकील विभोर साहू ने इस संबंध में एक जन हित याचिका उच्च न्यायालय में लगाई थी। बीती 29 सितंबर 2021 को याचिका की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने तीस सदस्यीय कमेटी का गठन किया। कमेटी में हाइकोर्ट के ओएसडी न्यायाधीश हितेन्द्र द्विवेदी, एडव्होकेट अमित लाहोटी और चेतन कानूनगो को शामिल किया गया। कमेटी के पदाधिकारियों ने बीती 10 जनवरी से 25 अप्रैल तक लगभग 230 किमी हाइवे का निरीक्षण किया। निरीक्षण की वीडियो और फोटोग्राफी भी कराई गई। हाइवे के निरीक्षण के दौरान सामने आया कि कुछ स्थानों को छोड़कर ज्यादातर स्थानों पर ग्रीन हाइवे पॉलिसी का पालन नहीं किया गया। इस संबंध में कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी उच्च न्यायालय को सौंप दी है। अब पूरा मामला हाइकोर्ट के पाले में है।
क्या है ग्रीन हाइवे पॉलिसी-
हाइवे के निर्माण में ग्रीन हाइवे पॉलिसी 2015 का पालन किया जाना सुनिश्चित किया जाता है। एडवोकेट विभोर साहू ने बताया कि ग्रीन हाइवे पॉलिसी के तहत सड़क किनारे हर दस मीटर के अंतराल में कम से कम 6 फि ट उंचे फ लदार और छायादार पेड़ लगाए जाने चाहिए। जबकि, विपरीत दिशा से आ रहे वाहन चालकों को हेडलाइट रिपलेक्शन से बचाने के लिए सड़क के बीचों बीच छोडे गए स्थान पर बोगनवेलिया के पौधे लगाए जाना चाहिए। लेकिन ग्वालियर से रूठियाई तक बनाए गए फोरलेन हाइवे के ज्यादातर स्थानों पर इस नियम का पालन नहीं किया गया। पढे

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