भयानक ठंड के आसार
प्रदेश में हो रही लगातार बारिश से अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भयानक ठंड के आसार है। लोगों का कहना है कि प्रदेश में जब से बारिश का दौर चल रहा है तब से लेकर अभी तक मात्र कुछ दिन ही धूप देखने को मिली है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार अधिक बारिश की तरह लोगों को अधिक ठंड भी झेलनी पड़ सकती है।
किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी
प्रदेश के अशोक नगर जिले मेें शानिवार की शाम हुई बारिश के बाद किसान अपनी बची हुई उम्मीदें टूट गई। किसान अपने फसल को सहेजने के लिए मेहनत कर रहे थे। लेकिन एक बार फिर कुदरत उनकी मेहनत पर आफत बनकर बरसी और रही-सही उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। शनिवार शाम को हुई बारिश से कटी हुई फसल भीग गई।
जिले में शनिवार को शाम करीब 3.30 बजे से मौसम ने पलटी मारी।
करीब एक घंटा जमकर बारिश हुई
आसमान में काली घटाएं छाईं और बारिश का दौर फिर शुरू हो गया है। जिला मुख्यालय सहित आसपास के गांवों में करीब एक घंटा जमकर बारिश हुई। जिससे नालियों का गंदा पानी सड़कों पर बह निकला। हालांकि यह बारिश पूरे जिले में एक समान नहीं रही। मुंगावली व चंदेरी तहसील में कहीं-कहीं पानी की फुहार गिरी। वहीं अशोकनगर व ईसागढ़ तहसील में कुछ स्थानों पर अधिक तो कहीं रिमझिम बारिश हुई।
फसलों को नुकसान
जिले में 2 अक्टूबर से बारिश का दौर थमा हुआ था और अच्छी धूप खिल रही थी, लेकिन खेतों में भरे पानी व कीचड़ के कारण फसलों की कटाई मुश्किल थी। लेकिन धुप से फलियों के चटकने के कारण किसान फसल बचाने के लिए पानी से भरे खेतों में ही गीली फसल की कटाई करवा रहे थे। ताकि फलियों के चटकने से दाने गिरकर खराब न हों। लेकिन बारिश ने फिर उनको निराश कर दिया।
किसानों की उम्मीदों पर फिर गिरी आफत की बारिश
वही प्रदेश के राजगढ जिले के ब्यावरा दो दिन की तेज धूप और बारिश की खेंच के बाद जागी किसानों की उम्मीदों पर शनिवार शाम फिर पानी फिर गया। दिनभर बादलों की लुकाछिपी के बाद शाम साढ़े छह बजे गरज-चमक के साथ जमकर बारिश हुई। इससे किसानों की मुसीबत और बढ़ गई। बारिश के थमने के बाद दो दिन से किसानों को थोड़ी राहत मिली थी, लेकिन फिर से शनिवार को उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। किसानों ने जैसे-तैसे सोयाबीन काटना शुरू किया था, खेतों में कीचड़ मचा हुआ था, अब फिर से बारिश ने उनकी परेशानी को दो गुना कर दिया है। अभी तक 80 फीसदी नुकसान माना जा रहा था, लेकिन कुछ मात्रा में कट चुकी सोयाबीन अब पूरी तरह से खराब होना तय है।
असर उत्पादन पर पड़ रहा
किसानों के सामने इस मुसीबत भरी बारिश में परेशानी ही हाथ रह गई है। खेतों में के निचले क्षेत्रों में तो अभी भी पानी भरा हुआ है, इससे सोयाबीन काटना तो दूर वहां पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। खड़ी सोयाबीन, मूंग, मूंगफली, उड़द, मक्का इत्यादि की फसल अंकुरित होने लगी है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है।
फिर बारिश, कटी फसलों पर आफत
मंगलवार से थमी बारिश ने शनिवार से एक बार फिर जोर पकड़ा। शनिवार को नरसिंहगढ़, कोटरीकला, सहित कुरावर और बोड़ा के आसपास के कई स्थानों पर कहीं तेज कहीं हल्की बूंदाबांदी हुई। राजगढ़ में भी दोपहर तक तो तेज धूप निकली इसके बाद शाम को कुछ देर हुई हल्की बूंदाबांदी ने फिलहाल बारिश के सक्रिय होने का संदेश दे दिया। नरसिंहगढ़ क्षेत्र में तेज बारिश से खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन की फसलों को नुकसान हुआ। किसानों के अनुसार इस बार अतिवृष्टि से 60 से 70 प्रतिशत फसलें तो नष्ट हो चुकी हैं।
आसमान से बरसी आफत, गिरे ओले
सीहोर जिले के शुजालपुर में ओलावृष्टि के साथ मुसलाधार बारिश का दौर शुरू हो गया, जो कि रात तक जारी था। बारिश के कारण खेतों में कटी हुई फसल भी खराब होगी। उल्लेखनीय है कि तीन दिनों से क्षेत्र में मौसम खुला हुआ था, अंचलों में ग्रामीणों व किसानों की चहल पहल खेत तथा खलियानों में शुरू हो गई थी, मौसम साफ होने से सोयाबीन की फसल कटाई का दौर भी शुरू हो गया था। लेकिन शनिवार की शाम को क्षेत्र में मौसम ने फिर से करवट ली। तेज हवा और बादलों की गर्जना के बीच अनुविभाग शुजालपुर के कुछ गांवों में ओलावृष्टि हुई। मिली जानकारी अनुसार अरन्याकलां के समीप स्थित कनाडिया में लगभग 5 मिनट तक चने के आकार के ओले बरसे।
गांवों में ओलावृष्टि के समाचार मिले
कनाडिया सरपंच भंवरसिंह परमार ने बताया कि पहले तेज हवा चली और फिर ओले बरसना शुरू हो गए। सोयाबीन फसल पहले से ही खराब हो गई थी और जो बच गई थी वह ओलों ने नष्ट कर दी। इसी प्रकार कालापीपल तहसील के ग्राम काकरिया व नांदनी सहित आसपास के कुछ गांवों में ओलावृष्टि के समाचार मिले है।
65 इंच के लगभग पहुंचा आंकडा
मालवा अंचल जो वर्षभर होने वाली 40 इंच बारिश में सामान्यता वर्ष भर का कोटा पूरा कर लेता है लेकिन इस बार बारिश का आंकडा सामान्य बारिश से लगभग 25 इंच अधिक हो चुका है। तहसील शुजालपुर में चालू वर्ष में अब तक लगभग 65 इंच बारिश हो चुकी है। जलाशय अभी भी लबालब भरे हुए है तो खेतों से नमी समाप्त नहीं हो रहा।
किसानों की परेशानी और बढ़ी
तीन दिनों से मौसम खुला रहने पर किसानों ने खडी फसल को संभालना शुरू कर दिया था। क्षेत्र के अधिकांश खेतों में सोयाबीन फसल कटाई शुरू हो गई थी। लेकिन शनिवार को किसान की मेहनत पर आसमान से बरसी आफत ने फिर से पानी फेर दिया। बताया जाता है कि खड़ी फसल होने पर बारिश से उतना नुकसान नहीं होता है जितना कटाई के बाद खेतों में पड़ी फसलों को होता है। इन फसलों को सुखाने के चक्कर में किसान जहरीले जन्तुओं के शिकार भी बनेंगे।