परिवार चलाना हो या कोई मेहनत का भारी काम, पुरुषों से कभी पीछे नहीं महिलाएं
महिला दिवस विशेष: परिवार चलाने पुरुषों से कंधा मिलाकर काम कर रही महिलाएं, साबित कर रहीं नारी शक्ति।
अशोकनगर
Published: March 07, 2022 09:20:57 pm
अशोकनगर. परिवार चलाना हो या कोई मेहनत का भारी भरकम काम हो, महिलाएं कभी भी पुरुषों से पीछे नहीं रहीं। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और हम आपको बता रहे हैं ऐसी दो महिलाओं की कहानी, जो मेहनत के भारी भरकम काम में भी पुरुषों से कभी पीछे नहीं रहीं। इतना ही नहीं, इसी काम के दौरान वह मां की जिम्मेदारी भी वखूबी निभा रही हैं। साथ ही महिला दिवस से पूरी तरह से अनजान यह महिलाएं परिवार को पालने के संकल्प को पूरा करने में जुटी हुई हैं। पत्रिका के माध्यम से जानिए हर परिस्थिति में नारी शक्ति के स्वरूप साबित करती महिलाओं की कहानी।
1. 15 किलो का घन चलाती है 60 साल की पश्चिमा-
60 साल की उम्र में जहां लोग वृद्ध कहलाने लगते हैं और उनका शरीर भारी काम करने में सक्षम नहीं रहता, लेकिन पश्चिमाबाई ने इस बात को झूठा साबित कर दिया है। काम की तलाश में कबीले के साथ क्षेत्र में आईं 60 वर्षीय पश्चिमाबाई परिवार के पालन-पोषण के लिए अपनी दोनों बहुओं के साथ भारी-भरकम काम करती हैं। लोहे के औजार बनाने वह सात घंटे तपती धूप में परंपरागत मशीन से लोहे को तपाने का काम करती हैं, साथ ही रोज चार घंटे 15 किलो वजनी लोहे का घन भी चलाती हैं। पश्चिमाबाई ने कहा कि यदि वह काम नहीं करेंगी तो परिवार कैसे चलेगा।
2. काम के साथ ममता का भी पूरा ध्यान-
खेतों में फसलों की कटाई का काम चल रहा है, शहर की 25 वर्षीय रचना अहिरवार भी अन्य महिलाओं के साथ मजदूरी पर फसलों की कटाई करने जा रही हैं। पांच साल का एक बेटा है और घर पर अकेला न छोडऩा पड़े इसलिए उसे भी खेत पर साथ ले जाती हैं। जहां रचना सुबह से शाम तक धूप के बीच फसलों की कटाई में जुटी रहती हैं, लेकिन अपने पुत्र को धूप से बचाने खेत में ही सरसों के डंठलों की की रोज झौंपड़ी बना देती हैं, ताकि बेटा धूप से बचा रहे। मजदूरी के दौरान ही वह अपने बेटे की देखभाल भी करती हैं, यह एक नहीं बल्कि फसलों की कटाई कर रहीं सैंकड़ों महिलाओं की यही कहानी है।

परिवार चलाना हो या कोई मेहनत का भारी काम, पुरुषों से कभी पीछे नहीं महिलाएं
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