एक्सपर्ट व्यू:
मोबाइल-लेपटॉप का ज्यादा इस्तेमाल मुख्य कारण
जिला अस्पताल के नेत्र सर्जन डॉ. संदीप भल्ला के मुताबिक पहले लोग दूरदृष्टि का ज्यादा इस्तेमाल करते थे, लेकिन लेपटॉप, मोबाइल व ऑनलाइन क्लासेस का इस्तेमाल होने से नजर कमजोर हो रही है, क्योंकि छात्र दूर की बजाय नजदीक ज्यादा समय तक देख रहे हैं। जापान-कोरिया में तो 80 फीसदी छात्रों को चश्मा लगाना पड़ता है, यह आधुनिकता का दुष्परिणाम भी है।
आंखों को स्वस्थ रखने अपनाए यें फार्मूला
20:20:20 के फॉर्मूला के इस्तेमाल से आंखों को स्वस्थ रखा जा सकता है, यदि छात्र 20 मिनट पास तक देखते हैं तो 20 सेकंड तक उन्हें 20 फीट दूर-दूर देखना चाहिए। इससे आंखों को आराम मिलता है और आंखों की एक्सरसाइज भी हो जाती है, इससे नजर कमजोर नहीं होगी।
35 फीसदी विद्यार्थियों की नजर कमजोर
भागदौड़ भरे इस आधुनिक जमाने में युवाओं की आंखें कमजोर होने लगी हैं। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि कॉलेज में 196 विद्यार्थियों की आंखों की जांच हुई, इनमें 35 फीसदी विद्यार्थियों की नजर कमजोर पाई गई, इनमें 12.2 फीसदी की आंखें कमजोर पाई गईं, जिन्हें चश्मा लगाने की जरूरत है।
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चश्मा लगाने की जरूरत है
शहर के शासकीय नेहरू महाविद्यालय में लॉयंस क्लब द्वारा नेत्र चिकित्सालय की टीम के माध्यम से नेत्र परीक्षण शिविर लगाया गया। इसमें 196 छात्र-छात्राओं व कॉलेज स्टाफ की आंखों की जांच हुई। जांच में छात्रों में चार परिजन भी शामिल रहे। प्राचार्य डॉ. रेणु राजेश के मुताबिक जांच में 68 छात्रों की नजर कमजोर पाई गई और 24 छात्र-छात्राओं की नजर ज्यादा कमजोर रही, जिन्हें चश्मा लगाने की जरूरत है। कमजोर नेत्र ज्योति के बारे में भी छात्रों को जागरुक किया गया।