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झोलाछाप से इलाज कराना युवक को पड़ गया महंगा, पुलिस से की शिकायत

locationअशोकनगरPublished: Oct 25, 2018 05:25:13 pm

Submitted by:

Arvind jain

दाद के उपचार के लिए लगाए इंजेक्शन से फैला इंफैक्शन, चलने फिरने से भी हुआ लाचार….

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झोलाछाप से इलाज कराना युवक को पड़ गया महंगा, पुलिस से की शिकायत

अशोकनगर। गांव में बड़ी से बड़ी बीमारी के उपचार का दावा करने वाले एक छोला छाप डाक्टर से उपचार कराना एक युवक को महंगा पड़ गया। झोलाछाप द्वारा लगाए गए इंजेक्शन से युवक के शरीर में इंफेक्शन फैल गया। जिससे घाव भी हो गया।


इसकी शिकायत जब पीडि़त ने छोलाछाप से की तो उसने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद पीडि़त पहले ईसागढ़ स्थित सरकारी अस्पताल और फिर सुखपुर अस्पताल पहुंचा। जहां पुलिस में शिकायती आवेदन दिए जाने के बाद उपचार की बात कही।


खासबात यह है कि ब्लाक में झोलाछाप के उपचार से मरीज की परेशानी बडऩे का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई सिर्फ कुछ समय के लिए ही प्रभावी दिखती है।

महुअन निवासी धर्मेन्द्र यादव ने बताया कि जांघ में दाद की शिकायत होने के बाद वह गांव में निजी क्लिनिक संचालित कर रहे भोगीराम कुशवाह के पास लगभग आठ दिन पहले उपचार के लिए पहुंचा था।

 

डा. ने बताया कि दाद वाले स्थान पर इंजेक्शन लगाना पड़ेगा। इस पर धर्मेन्द्र तैयार हो गया। धर्मेन्द्र ने बताया कि जैसे ही डा. ने इंजेक्शन लगाया उसके पूरे शरीर में बेहद जलन होने लगी। इसी हालत में वह घर आ गया। लेकिन दाद वाला स्थान ठीक होने के स्थान पर घाव का रूप लेने लगा।


धर्मेन्द्र के फुफेरे भाई अजय यादव ने बताया कि इसके बाद जब डा. से इस संबंध में बात की तो उसने उपचार करने से मना कर दिया। पीडि़त को लेकर परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। यहां अस्पताल में उपस्थित स्टाफ ने पहले पुलिस में आवेदन देने की बात कही। इसके बाद पीडि़त ने एक शिकायती आवेदन पुलिस को दिया। फि लहाल पीडि़त का उपचार सुखपुर अस्पताल में चल रहा है।

 

पहले भी आ चुके हैं मामले….
झोलाछाप डाक्टर के उपचार से मरीज की सेहत पर विपरीत असर होने का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। खासबात यह है कि कई मामलों में तो झोलाछाप डाक्टरों के उपचार से मरीजों की मौत भी हो चुकी है।
हालांकि ज्यादातर मामलों में मरीज के परिजन और डाक्टरों के बीच ले देकर सुलह हो जाती है। इस कारण इस तरह के मामले ज्यादा तूल नहीं पकड़ते। बताया जाता है कि कुछ मामलों में तो निजी चिकित्सकों को जेल की हवा तक खाना पड़ी है।
मजबूरी है निजी चिकित्सकों से उपचार कराना…..
सरकारी अस्पतालों में सस्ता इलाज मिलने के बाद भी मरीजों को निजी चिकित्सकों के यहां उपचार कराना मजबूरी बन गया है। दरअसल, ज्यादातर स्थानों पर स्वांस्थ्य सुविधाएं वेंटीलेटर पर हैं।

इस कारण मरीजों को सरकारी अस्पतालों में बेहतर उपचार नहीं मिलता और उन्हें निजी चिकित्सकों के यहां उपचार कराना पड़ता है। ब्लाक में ईसागढ़ मुख्यालय पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जबकि नईसराय, पारसौल और कालाबाग में प्रायमरी हेल्थ सेंटर हैं।


लेकिन लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में डाक्टर सहित अन्य अमले का टोटा हमेशा बना रहता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की ही बात की जाए तो स्थापना से लेकर अब तक ऐसा समय कभी नहीं रहा जब इस अस्पताल में सभी पद भरे हों। वर्तमान समय में सालों से इस अस्पताल में महिला चिकित्सक का पद खाली पड़ा है। बावजूद इसे भरने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ज्यादा संवेदनशील नजर नहीं आते।

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