scriptअफगानिस्तान: 2014 के बाद तालिबान के हमलों में 45,000 सुरक्षाकर्मियों की मौत | 45,000 security personnel killed in Afghanistan since 2014 | Patrika News

अफगानिस्तान: 2014 के बाद तालिबान के हमलों में 45,000 सुरक्षाकर्मियों की मौत

locationनई दिल्लीPublished: Jan 29, 2019 07:46:12 am

अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों में 45000 सुरक्षा कर्मियों की मौत हो चुकी है

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अफगानिस्तान: 2014 के बाद तालिबान के हमलों में 45,000 सुरक्षाकर्मियों की मौत

काबुल: 2014 में पद ग्रहण करने वाले राष्ट्रपति गनी ने कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों में 45000 सुरक्षा कर्मियों की मौत हो चुकी है। विश्व आर्थिक मंच में बोलते हुए अफगान राष्ट्रपति ने यह आंकड़ा प्रकट किया। अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी का कहना है कि 2014 में उनके नेता बनने के बाद से देश के सुरक्षा बलों के 45,000 से अधिक सदस्य मारे गए हैं। यह आंकड़ा पहले की तुलना में कहीं अधिक है। आपको बता दें कि पिछले साल के अंत में गनी ने कहा था कि 2015 के बाद से अफगानिस्तान में 28,000 लोग मारे गए हैं।

45,000 सुरक्षाकर्मियों की मौत

राष्ट्रपति गनी की यह टिप्पणी अमरीका और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच हुई शीर्ष-स्तरीय बातचीत के बाद आई है। स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच की बैठक में बोलते हुए उन्होंने कहा कि, “जब से मैं राष्ट्रपति बना हूं, 45,000 से अधिक अफगान सुरक्षा कर्मियों ने बलिदान दिया है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान में मुख्य विद्रोही समूह तालिबान ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने 17 साल से चले आ रहे युद्ध को खत्म करने की मांग को लेकर अमरीकी अधिकारियों के साथ चार दिनों तक आमने-सामने बातचीत की। यह स्पष्ट नहीं है कि वार्ता का निष्कर्ष क्या रहा है लेकिनरिपोर्टों में कहा गया है कि वार्ताकार एक समझौते की दिशा में प्रगति कर रहे हैं। अशरफ गनी ने आगे कहा, “हमें एक स्थिर अफगानिस्तान प्राप्त करने की आवश्यकता है जो एक तरफ अमरीकीयों, यूरोपीय और अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। दूसरी तरफ अपने लोगों के लिए बेहतर देश बना सके। आपको बता दें कि तालिबान अक्सर सैन्य ठिकानों, सैनिकों और पुलिस को निशाना बनाते हुए घातक हमलों को अंजाम देता आया है।हाल के वर्षों में अमरीका और अफगान अधिकारियों ने हताहतों के आंकड़े को जारी रोक दिया है क्योंकि माना जाता हैकि इससे देश के लोगों में दहशत फैल जाएगी। आगरा अशरफ गनी के दावे को सही माना जाए तो यह किसी भी सेना के लिए बेहद आकस्मिक आंकड़ा है। सैन्य पर्यवेक्षकों का कहना है कि अफगान सैनिक जमीन पर बहुत कमजोर हैं और तालिबान ने इसी का फायदा उठाकर अलग-थलग चौकियों, चेक प्वाइंटों और ठिकानों पर हमले किए हैं ।

तालिबान का नया पैंतरा

उधर गनी के दावे के बीच तालिबान ने अमरीका से बातचीत के लिए शीर्ष वार्ताकार के रूप में अपने सह-संस्थापक को नियुक्त किया है। तालिबान ने दोहा में अपने राजनीतिक कार्यालय के नए प्रमुख के रूप में आंदोलन के सह-संस्थापक को नियुक्त किया है। बता दें कि दोहा में सोमवार से अमरीकी अधिकारियों के साथ अफगानिस्तान में 17 साल के संघर्ष को समाप्त करने के लिए वार्ता शुरू हुई है। तालिबान का कहना है कि यह कदम संयुक्त राज्य अमरीका के साथ चल रही वार्ता प्रक्रिया को मजबूत करने और ठीक से संभालने के लिए उठाया गया है।

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