15 फीसदी की मौत जलने के कारण
एमएसएफ को बिना सीमाओं के चिकित्सक के रूप में जाना जाता है। संस्था ने कहा कि यह म्यांमार अधिकारियों द्वारा व्यापक हिंसा के स्पष्ट संकेत हैं। एमएसएफ मेडिकल निदेशक सिडनी वोंग ने कहा, “जो कुछ भी हमने पाया वह चौंका देने वाला था, लोगों की संख्या में संदर्भ में परिवारों ने माना है कि हिंसा के कारण उनके सदस्यों की मौत हुई, उन्होंने कहा कि हिंसा में उनके सदस्यों की भयावह तरीके से मृत्यु हुई या वे गंभीर रूप से घायल हो गए। पांच साल की उम्र से कम के मारे गए बच्चों के बारे में एमएसएफ ने कहा कि 59 फीसदी से अधिक बच्चों को कथित तौर पर गोली मारी गई , 15 फीसदी की मौत जलने के कारण, सात फीसदी की बेहरमी से पिटाई के कारण और दो फीसदी बच्चे बारुदी सुरंग में विस्फोट के कारण मारे गए।
647,000 रोहिंग्या म्यांमार से बांग्लादेश भाग गए
खबर के मुताबिक, 25 अगस्त को रोहिंग्या अर्सा विद्रोहियों द्वारा 30 से ज्यादा पुलिस चौकियों पर सिलसिलेवार हमले के बाद शुरू हुई सैन्य कार्रवाई के कारण 647,000 रोहिंग्या म्यांमार से बांग्लादेश भाग गए थे। आंतरिक जांच के बाद म्यांमार सेना ने नवंबर में संकट के संबंध को लेकर खुद को दोषमुक्त करार दिया था। उन्होंने किसी भी नागरिक, गांवों को जलाने, महिलाओं और लड़कियों के साथ दुष्कर्म और संपति की चोरी के आरोपों से सिरे से खारिज कर दिया था। मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय से म्यांमार ने नागरिकता छीन ली थी और वह बांग्लादेश में बतौर शरणार्थी रह रहे हैं। सरकार उन्हें रोहिंग्या कहकर संबोधित करने के बजाए बंगाली मुस्लिम कह रही है।