द्वितीय विश्व युद्ध में रूस ने छीना द्वीप द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के शहर नागासाकी और हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए गए थे। इसके बाद से जापान काफी कमजोर हो गया। इसका फायदा उठाते हुए रूस ने इन द्वीपों पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया। उन्होंने यहां पर रह रहे सात हजार जापानियों को भगा दिया। इस समय यहां पर हजारों की तादात पर रूसी नागरिक रह रहे हैं। वे यहां से हटने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर 1951 में सैनफ्रांसिसको पीस ट्रीटी भी साइन की गई थी। इसमें रूस के हक में फैसला सुनाते हुए कहा गया जापान का इन द्वीपों पर कोई अधिकार नहीं है। मगर इस ट्रीटी में कहीं भी द्वीपों पर रूस की मौजूदगी बात नहीं की गई। ऐसे में जापान चाहता यह द्वीप उसे दे दिए जाएं।
खनिज पद्धाथों से भरपूर यह द्वीप खनिज पद्धार्थों से भरपूर हैं, ऐसे में जापान और रूस दोनों के लिए इन द्वीपों का महत्व काफी अधिक है। रूस के लिए ये आये स्रोत हैं और यहां पर हजारों कर्मी काम कर रहे हैं। ऐसे में रूस के लिए परिस्थियां काफी जटिल हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस पर जापान अपना हक बता रहा है।
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