scriptकाबुल में रोज अपनी ड्यूटी करने आता है यह शख्स, राष्ट्रपति चुनाव के लिए छोड़ दी थी अमरीकी नागरिकता | Afghanistan: Ex-Mayor of Kabul Daoud Sultanzoy coming office daily but not helping Taliban | Patrika News

काबुल में रोज अपनी ड्यूटी करने आता है यह शख्स, राष्ट्रपति चुनाव के लिए छोड़ दी थी अमरीकी नागरिकता

locationनई दिल्लीPublished: Sep 23, 2021 01:18:55 am

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा करने के बाद काबुल के ‘पूर्व मेयर’ अभी भी रोज ऑफिस आते हैं और वह कहते हैं कि वह तालिबान की मदद नहीं कर रहे हैं बल्कि अपनी ड्यूटी पूरी कर रहे हैं। पूर्व अमरीकी नागरिक दाउद सुल्तानजॉय (Daoud Sultanzoy) पेशे से पायलट हैं और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अपना पासपोर्ट त्याग कर चुके हैं।

Afghanistan: Ex-Mayor of Kabul coming office daily but not helping Taliban

Afghanistan: Ex-Mayor of Kabul coming office daily but not helping Taliban

काबुल। एक ओर जहां अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने कथित तौर पर अशरफ गनी सरकार के आखिरी बचे हुए मंत्री वहीद मजरोह को बर्खास्त कर दिया है, वहीं, काबुल के ‘पूर्व मेयर’ 66 वर्षीय दाउद सुल्तानजॉय ( Daoud Sultanzoy ) दफ्तर में अपने दिन गिन रहे हैं। यों तो काबुल को पहले ही तालिबान नेता हमदुल्ला नोमानी के रूप में एक नया प्रशासक मिल गया है, लेकिन दाउद सुल्तानजॉय अभी भी मेयर बने हुए हैं क्योंकि यह पद आधिकारिक तौर पर नोमानी के पास नहीं गया है। सुल्तानजॉय अभी भी रोज ऑफिस आ रहे हैं और नोमानी के साथ ऑफिस स्पेस शेयर कर रहे हैं।
दाउद सुल्तानजॉय एक अमरीकी नागरिक हैं, जो काबुल में पैदा हुए थे और 1980 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ के खिलाफ लड़े था। अमरीका में प्रशिक्षण पाने वाले पेशे से एक पायलट दाउद सुल्तानजॉय 9/11 हमले के बाद तालिबान सरकार की मदद करने के लिए अफगानिस्तान लौट आए।
वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने काबुल प्रशासन में अपनी अजीबोगरीब स्थिति के बारे में बात की। 15 अगस्त को तालिबान द्वारा काबुल में कब्जा करने के एक दिन बाद उनसे संपर्क किया गया था। तालिबान ने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया था और काबुल पर कब्जे के तुरंत बाद उन्होंने फिर से काम शुरू कर दिया था ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कचरा संग्रह, स्वच्छता जैसे नगरपालिका के काम निर्बाध रूप से चलते रहें।
https://twitter.com/DaoudSultanzoy1/status/1430830561417908224?ref_src=twsrc%5Etfw
उन्होंने कहा, “यह एक जिम्मेदारी है जिसे आप बेवजह नहीं हटा सकते क्योंकि आप कहते हैं, ‘ओह, मुझे ये लोग पसंद नहीं हैं’।” उन्होंने कहा कि वह राजनीति में बिल्कुल भी शामिल नहीं हैं। उन्होंने बताया, “मैं यहां हूं क्योंकि मैं काबुल के लोगों के लिए जिम्मेदार हूं और मैंने इस जिम्मेदारी से बंधे रहने का फैसला किया है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “महापौर की असामान्य और अनिश्चित स्थिति अफगानिस्तान की इस बदलाव की अवधि की जटिलताओं को उजागर करती है, साथ ही तालिबान के क्रूर ग्रामीण विद्रोह से एक ऐसी सरकार में स्थानांतरित करने के प्रयासों को उजागर करती है जो 4 करोड़ लोगों के देश का प्रबंधन कर सकती है और अपने आठ अफगानी शहरों में से एक आधुनिक शहरों जैसे काबुल को चला सकती है।”
2014 के राष्ट्रपति चुनाव में लड़ने के लिए दाउद सुल्तानजॉय ने अपना अमरीकी पासपोर्ट त्याग दिया, हालांकि उनकी पत्नी को 1972 में मिस अफगानिस्तान का ताज मिला था और उनके बच्चे अमरीका में हैं। सुल्तानजॉय ने कहा कि उन्होंने जो निर्णय लिया, उनका परिवार भी उस फैसले के साथ है।
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उन्होंने कहा, “मैं मदद नहीं कर रहा हूं। मुझे इस शहर की सेवा करने के लिए नियुक्त किया गया था और मैं अभी भी इस शहर की सेवा कर रहा हूं।” उन्होंने कहा कि तालिबान में बदलाव को उन्होंने कैसे देखा, “मैं उन्हें अधिक सहिष्णु पाता हूं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं सभी से मिला हूं, मुझे यकीन है कि अन्य तत्व भी हैं। लेकिन जिन लोगों से मैं मिला हूं वे बहुत विनम्र, बहुत समझदार हैं।”
काबुल के नए प्रशासक हमदुल्ला नोमानी ने वॉल स्ट्रीट को बताया कि नया नेतृत्व दाऊद सुल्तानजॉय को पसंद करता है और राजनीतिक मुद्दों पर विचार नहीं किया जा रहा है। नोमानी ने कहा, “जिस किसी ने भी ईमानदारी से सेवा की है और उसका रिकॉर्ड अच्छा है, और जिसमें मेयर, डिप्टी मेयर और अन्य निदेशक शामिल हैं, वे सभी हमारे दोस्त हैं, हम इन पदों पर कोई बदलाव नहीं लाए हैं।”
काबुल नगरपालिका ने हाल ही में अपने पुरुष कर्मचारियों को फिर से काम पर आने के लिए कहा है, जबकि तालिबान ने महिला श्रमिकों को घर में रहने के लिए कहा है। निर्णय तालिबान नेतृत्व का है और सुल्तानजॉय दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को देखते हैं। पिछले तीन महीनों से, सुल्तानजॉय को कोई वेतन नहीं मिला है, पहले क्योंकि अशरफ़ गनी सरकार ने भुगतान में देरी की और अब तालिबान के पास वेतन देने के लिए धन नहीं है।
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