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अफगानिस्तान के सिख बोले, ‘हमारे पास दो ही विकल्प- या तो भारत आएं या इस्लाम कबूल करें’

locationनई दिल्लीPublished: Jul 02, 2018 08:42:33 pm

भयभीत अल्पसंख्यक सिख समुदाय के निर्दोष लोग अब भारत आने का सोच रहे हैं ताकि सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन जी सके। स्थानीय सिखों का कहना है कि उनके पास दो ही विकल्प हैं या तो वे अपना घर-बार छोड़कर भारत आ जाएं या फिर अफगानिस्तान में ही रहकर इस्लाम कबूल कर लें।

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अफगानिस्तान के सिख बोले, ‘हमारे पास दो ही विकल्प- या तो भारत आएं या इस्लाम कबूल करें’

काबुल। तालिबान और इस्लामिक स्टेट्स के शिकार अफगानिस्तान में रहने वाले सिख समुदाय के लोग अब अपना देश छोड़कर भारत आने पर विचार कर रहे हैं। रविवार को जलालाबाद में हुए एक आत्मघाती हमले में 13 सिखों की मौत हो गई थी। इसे भयभीत अल्पसंख्यक सिख समुदाय के निर्दोष लोग अब भारत आने का सोच रहे हैं ताकि सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन जी सके। स्थानीय सिखों का कहना है कि उनके पास दो ही विकल्प हैं या तो वे अपना घर-बार छोड़कर भारत आ जाएं या फिर अफगानिस्तान में ही रहकर इस्लाम कबूल कर लें।
आईएसआईएस ने किया था हमला

आतंकी हमलों और अन्य घटनाओं में अपनों को गंवा चुके लोगों का मानना है कि वे ज्यादा दिन वहां नहीं रह सकते। जलालाबाद में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली है। इस हमले के पीड़ितों में सिख समुदाय के कई चर्चित लोग शामिल हैं। इनमें संसदीय चुनाव में एकमात्र सिख प्रत्याशी रहे अवतार सिंह खालसा और प्रसिद्ध कार्यकर्ता रावल सिंह भी शामिल हैं।
…ये है अफगानी सिखों का दर्द

– ‘इस्लामिक आतंकी हमारी धार्मिक प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम अफगानी हैं। सरकार हमें मान्यता देती है लेकिन आतंकी हम पर हमले करते हैं क्योंकि हम मुस्लिम नहीं हैं।’
– ‘अफगानिस्तान में सिख समुदाय अब करीब 300 परिवारों तक ही सीमित हो गया है। हमारे पास दो गुरुद्वारे हैं, एक जलालाबाद और दूसरा राजधानी काबुल में है।’
– 1990 के दशक में हुए गृह युद्ध से पहले तक ढाई लाख से ज्यादा सिख और हिंदू रहते थे। लेकिन पिछले दशक में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक वहां तीन हजार सिख और हिंदू रह रहे थे।

भारत ने उठाए ये कदम
भारत ने अफगानिस्तान के सिख और हिंदू समुदायों के लोगों को लंबी अवधि का वीजा जारी किया है। अफगानिस्तान में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा, ‘वे सभी बिना किसी सीमा के भारत में रह सकते हैं। अंतिम फैसला उन्हें लेना है। हम यहां उनकी मदद के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने बताया कि सरकार हमले में मारे गए सिखों के अंतिम संस्कार में सहयोग कर रही है। हालांकि कुछ सिख ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं कि वे अफगानिस्तान से कहीं नहीं जाएंगे।
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