SC का ऐतिहासिक निर्णय, कहा-HC को अपने ही आदेश वापस लेने का है अधिकार
विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से किया गया था बर्खास्त
बता दें कि इससे एक दिन पहले बुधवार को संसद में 225 में से 117 सांसदों ने विक्रमसिंघे के समर्थन में मतदान किया। जिसके बाद देश से देश की निगाहें राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना पर आकर टिक गई थीं। हालांकि इस मामले पर अभी तक राष्ट्रपति की तरफ से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है। दरअसल सिरिसेना ने ही 26 अक्टूबर को विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद उन्होंने महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बना दिया था। इस घटनाक्रम के बाद श्रीलंका में सियासी संकट खड़ा हो गया था।
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महिंद्रा राजपक्षे नहीं जुटा पाए थे समर्थन
14 नवंबर को संसद शुरू होने से पहले महिंद्रा राजपक्षे संसद में पर्याप्त समर्थन हासिल करने में नाकाम रहे, जिसके बाद सिरिसेना ने संसद को भंग कर दिया था। राष्ट्रपति ने 5 जनवरी को चुनाव कराने का ऐलान किया था। इस मामले को लेकर विक्रमसिंघे के समर्थक सांसद कोर्ट गए थे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए महिंद्रा राजपक्षे को कामकाज करने से रोक दिया था और कहा था कि जब तक महिंद्रा राजपक्षे की वैधता साबित नहीं हो जाती तब वे प्रधानमंत्री के तौर पर काम नहीं कर सकते।