प्रेस के लिए 2018 सर्वाधिक हिंसक सालों में से एक
इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में व्याप्त अशांति के साथ-साथ साल 2018 प्रेस के लिए सर्वाधिक हिंसक सालों में से एक रहा। एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अफगान जर्नलिस्ट्स सेफ्टी कमेटी ने काबुल में जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि 2018 में पत्रकारों की हत्या के मामले 2017 की तुलना में कम रहे। 2017 में 20 पत्रकारों की हत्या की गई थी। यही नहीं ये 2013 के बाद का सबसे घातक साल रहा था। कहा जा रहा है कि संस्था ने 2013 में ही इन घटनाओं का पता लगाना शुरू किया था।
मीडिया संस्थाओं को जानबूझकर बनाया जा रहा है निशाना
रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा की 121 घटनाओं में पिछले साल 15 पत्रकार जख्मी हुए। इन घटनाओं में अवैध हिरासत, धमकियां और अपमान की घटनाएं भी शामिल हैं। इनमें से 41 फीसदी घटनाओं को तालिबान और इस्लामिक स्टेट आतंकी गुटों ने अंजाम दिया, जबकि 27 फीसदी घटनाओं में सरकार के लोग, पांच फीसदी में मीडिया के लोग और बाकी में अज्ञात लोग शामिल थे। रिपोर्ट के मुताबिक घटना के शिकार लोगों में 11 फीसदी महिलाएं थीं। एजेएससी के डायरेक्टर नजीब शरीफ ने मीडिया इंटरव्यू में बताया कि पत्रकारों और मीडिया संस्थाओं को जानबूझकर सीधा निशाना बनाने को लेकर वह काफी चिंतित हैं।