9 लाख शरणार्थी रह रहे हैं बांग्लादेश में
आपको बता दें कि बांग्लादेश में करीब 9 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों में से एक मुस्तकिमा अपने बच्चों और रिश्तेदारों के साथ भागकर दूसरे स्थान पर पहुंची है। अपने पति को सैन्य कार्रवाई के दौरान अगस्त 2017 में खो चुकी मुस्तकिमा ने बड़ी मेहनत करके एक झोपड़ी खड़ी की थी। लेकिन जून में हुई बारिश में उसके नीचे की मिट्टी धसक गई। उसके बाद उसने हार नहीं मानी और एक बार फिर से राहत ऐजेंसियों की मदद से बालू की बोरियों और बांसों की सहायता से उसने झोपड़ी बनानी शुरू की और किसी तरह से अपने बच्चों और परिवार वालों के लिए रहने का इंतजाम किया। लेकिन कुदरत को शायद पसंद नहीं इसलिए इस बार जिस पहाड़ी पर मुस्तकिमा ने अपनी झोपड़ी बनाई, उसमें बारिश का पानी घुस रहा है और वहां भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है।
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रोहिंग्याओं के लिए पेड़ों की जड़ें बन गई अभिशाप
आपको बता दें कि रोहिंग्या मुसलमान जिन पहाड़ियों के पेड़ काटकर अपने घर बनाए थे और जिन पेड़ों की जड़ों को जलाकर ठंड से राहत पाई थी अब उन्हीं का नहीं होना उनके लिए अभिशाप बन गया है। पेड़ कटने से पहाड़ी की मिट्टी ढीली हो गई और बारिश तथा बहाव के साथ जानलेवा भूस्खलन में बदल चुका है। अब बस रोहिंग्याओं को एक ही चिंता सता रही है कि इस बारिश में बचने के लिए कोई सुरक्षित जगह मिल जाए।