भारत से हस्तक्षेप की मांग
भारत में बांग्लादेश के उच्चायुक्त सय्यद मुआज्जेम अली ने भारत से कहा कि वह रोहिंग्या मामले में हस्तक्षेप कर म्यांमार की सरकार पर वहां हालात सुधारने के लिए जोर दे। उन्होंने कहा कि म्यांमार के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। हम दोनों बिम्सटेक के सदस्य भी हैं। इस लिए भारत को म्यांमार पर जोर देना चाहिए है कि वह अपने भीतरी हालातों को स्थिर करे, ताकि वहां से आए शरणार्थी वापस अपने देश लौट सकें। उच्चायुक्त ने कहा कि बांग्लादेश शरणार्थियों की जटिल समस्या से जूझ रहा है। उन्होंने बताया कि देश में इन शरणार्थियों की संख्या अब तक बढ़कर 6,70,000 हो गई है।
भारत निभा सकता है अग्रणी भूमिका
वहीं बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबुल हसन मुहम्मद अली ने इस समस्या से निपटने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव के मुताबिक म्यांमार से रखाइन प्रांत में चली रही हिंसा को खत्म करने और वहां शांति कायम करने के लिए कहना है। म्यांमार को तत्काल प्रभाव से कोफी अन्नान कमिशन रिपोर्ट को लागू करना चाहिए। उधर, बांग्लादेश की ओर से उच्चायुक्त मुआज्जेम अली ने कहा कि इस संबंध में भारत काफी मददगार साबित हो सकता है। पीएम मोदी के म्यांमार दौरे के दौरान भारत का स्टैंड काफी सराहानीय रहा है।
आतंकी गतिविधियों को बरदाश्त नहीं करेगा बांग्लादेश
मुजाम अली ने कहा कि म्यांमार में सुरक्षा बलों पर हुआ आतंकी हमलों को बरदाश्त नहीं किया जाएगा। इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कि बांग्लादेश किसी भी प्रकार की आतंक घटनाओं को बरदस्त नहीं करेगा और बांग्लादेश की जमीन पर किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों की इजाजत नहीं देगा।
क्या है रोहिंग्या प्रकरण
दरअसल, म्यांमार के रखाइन प्रांत में वहां के रोहिंग्या लोगों के खिलाफ सैन्य अभियान चलाया जा रहा है। इन लोगों को वहां से खदेड़ा जा रहा है, जिसके बाद ये रोहिंग्या लोगा सीमावर्ती देशों, भारत, बांग्लादेश, थाइलैंड आदि देशों में शरण ले रहे हैं। बता दें कि रोहिंग्या समुदाय के लोग अपने आप को म्यांमार के रखाइन प्रांत का निवासी मानते हैं, जबकि म्यांमार सरकार इनकों वहां का नागरिक मानने से इनकार करती है। म्यांमार का मानना है कि बांग्लादेश के निर्माण के समय भड़की हिंसा के चलते ये लोग म्यांमार में आकर बस गए थे, तब से अब तक म्यांमार के मूल निवासी बुद्धिस्ट और रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ संघर्ष चलता रहा है। पिछले माह इस संघर्ष में आधा दर्जन से अधिक सुरक्षा बल मारे गए थे,जिसके बाद से म्यांमार सरकार ने इनके प्रति संख्त रुख अख्तियार करते हुए इन्हें वहां से खदेडऩा शुरू कर दिया है। इस हिंसा के चलते बांग्लादेश में अब तक तीन से चार लोग रोहिंग्या लोग शरण ले चुके हैं, जिनकी कुल संख्या अब तक 6,70,000 से अधिक हो गई है, वहीं भारत में इनकी संख्या 40,000 से अधिक है।