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क्या चीन बना दुनिया का सबसे बड़ा दुश्मन, घातक वायरस को जन्म दे मचा रहा बड़ी तबाही

locationनई दिल्लीPublished: Mar 25, 2020 11:28:22 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

Highlights

कोरोना की तरह सारस ने भी दुनियाभर में भारी तबाही मचाई थी।
चीन में कोरोना वायरस से करीब 3,277 लोगों की मौत हो गई।
भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में लॉकडाउन की स्थिति है।

coronavirus in wuhan

घातक वायरस का जन्मदाता बना चीन।

बीजिंग। क्या चीन दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है। यहीं से निकल रहे खतरानाक वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहे हैं। आज कोरोना वायरस दुनिया के लिए खतरा बना गया है। इसके संक्रमण की शुरूआत भी चीन से हुई। चीन के हुबेई प्रांत से निकला ये वायरस आज इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमरीका सहित करीब 190 देशों में फैल चुका है। कोरोना वायरस से चीन में करीब 3,277 लोगों की मौत हो गई। इससे पहले भी चीन के अन्य खतरनाक वायरस दुनिया को मुसीबत में डाल चुके हैं।
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कोरोना वायरस ने मचाई तबाही

चीन से निकले कोरोना वायरस की चपेट में दुनियाभर के करीब चार लाख से ज्यादा नागरिक आ चुके हैं। इनमें से 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं एक लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं जबकि 11204 की हालत बेहद गंभीर है। भारत सहित विश्व के बड़े हिस्सों में लॉकडाउन की स्थिति है। इस वजह से करीब 100 करोड़ लोग अपने घरों में कैद हैं। अकेले इटली में इसने छह हजार से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। बताया जा रहा है कि इटली में लोगों का अंतिम संस्कार करना भी संभव नहीं हो पा रहा है। लाशें कई दिनों से अपने घरों में सड़ रहीं हैं।
हंतावायरस ने दी दस्तक

चीन में कोरोना के साथ एक और खतरनाक वायरस मंगलवार को सामने आया। ये है हंतावायरस। इससे एक शख्स की मौत हो गई। हालांकि, हंतावायरस इंसान से इंसान में फैलने वाली बीमारी नहीं है,लेकिन इसके कारण दुनिया चिंता में है। यह चीन में पहला मामला नहीं है। सबसे पहले 1976 में इसका मामला पाया गया था, जिसके बाद बीते कुछ दशकों में हजारों मामले दर्ज किए जा चुके हैं। हंतावायरस के चलते मॉर्टैलिटी रेट एक प्रतिशत रहा है।
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सारस की जानकारी छिपाई

साल 2002 में चीन के फोशान प्रांत से सीवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) फैलना शुरू हो गया। चीन ने इस सूचना को छिपाने की कोशिश की। उसने WHO को 2003 में 395 लोगों को इन्फेक्शन होने और 5 लोगों की मौत होने की जानकारी दी। इसने 2004 तक पूरी दुनिया में 8000 लोगों को अपनी चपेट में लिया। इससे कम से कम 774 लोगों की मौत हो गई।
चीन सरकार द्वारा सूचना छिपाने की काफी आलोचना की गई। इस त्रासदी पर चीन को विभिन्न देशों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। उसने कथित तर पर प्रेस को इसकी रिपोर्टिंग नहीं करने दी, फोशान के बाहर लोगों को अलर्ट नहीं किया और WHO को भी देर से जानकारी दी।
एवियन फ्लू का खतरा

चीन एवियन फ्लू का सामना काफी वक्त से कर रहा है। एवियन इन्फ्लुएंजा कई रूपों में यहां पर पाया गया। H5N1 1996 में सबसे पहले चीन में ही पाया गया था। वहीं, 2017 में चीन ने WHO को जानकारी दी थी कि H7N9 के कारण चीन में 35 लोगों की मौत हो गई थी। 2013 में एक महिला की मौत यहां H10N8 स्ट्रेन के कारण हो गई थी जो अपनी तरह का पहला मामला था।
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