एशिया

भारत के लिए अहम है ब्रह्मोस मिसाइल, चीन और पाकिस्तान सहित कई देशों की नजर

ब्रह्मोस की खूबियों की वजह से इसे भारत का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है

Oct 10, 2018 / 09:33 am

Siddharth Priyadarshi

नई दिल्ली। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल देश की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। रूस के सहयोग से निर्मित इस मिसाइल पर चीन और पाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों की नजर है। ब्रह्मोस की खूबियों की वजह से इसे भारत का ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के इंजीनियर मयंक अग्रवाल को सोमवार नागपुर में एयरोस्पेस सेंटर से गिरफ्तार किये जाने के बाद ब्रह्मोस एक बार फिर से चर्चा में है। बता दें कि मयंक अग्रवाल पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल सिस्टम की गोपनीय जानकारियों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को लीक करने का आरोप है। बता दें कि ब्रह्मोस की जानकारियां लीक होने की खबरें पहली बार नहीं आईं हैं।पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई कई बार इस मिसाइल की टेक्नोलॉजी लीक करवाने की कोशिश कर चुकी है। बार-बार इस तरह के मामले सामने आने से यह सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ब्रह्मोस में ऐसा क्या खास है जो पूरी दुनिया उस पर नजर गड़ाए बैठी है।

क्या है ब्रह्मोस

ब्रह्मोस को भारत ने रूस के साथ मिलकर तैयार किया है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कोवा नदी के नाम पर रखा गया है। ब्रह्मोस का पहला सफल परीक्षण 12 जून 2001 को हुआ था। यह मिसाइल 290 किलोमीटर तक मर कर सकती है और अपने साथ 300 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकती है। यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो दुनिया में अपनी श्रेणी की मिसाइलों में सबसे अग्रणी है। यह रडार को चकमा दे सकती है। इसे पनडुब्बी, पानी के जहाज, हवाई विमान या जमीन, कहीं से भी भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस राडार की पकड़ में नहीं आता जिसकी वजह से यह मिसाइल को पकड़ने वाले एजिस कॉम्बैट सिस्टम को भी मात देने में सक्षम है। बता दें कि एजिस कॉम्बैट सिस्टम का इस्तेमाल अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देश अपने युद्धपोत के सुरक्षा और दुश्मन के हथियारों को बर्बाद करने के लिए करते हैं। चीन भी इसी तरह के एक अन्य स्वदेशी सिस्टम का इस्तेमाल करता है। ब्रह्मोस हिंद महासागर की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसका भारत के लिए रणनीतिक महत्व भी है। जब इसे निर्मित किया गया था तब यह पूरी दुनिया में सबसे आधुनिक सबसे क्रूज मिसाइज थी। इसे अमरीका की हारपून से भी बेहतर माना जाता था।

क्यों है चीन और पाकिस्तान की नजर

ब्रह्मोस को जमीन, हवा या पानी कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस की यह एक ऐसी विशेषता है जहां भारत पाकिस्तान और चीन से आगे निकल जाता है। हिन्द महासागर और अरब सागर में चक्कर मारने वाले पाकिस्तानी और चीनी जहाज ब्रह्मोस के खौफ से कोई अनर्गल हरकत नहीं कर पाते हैं। चीन के पास भी ब्रह्मोस से बचने का कोई जरिया नहीं है। इस बड़े खूबी के अलावा ब्रह्मोस अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को भी दूर से ही निशाना बना सकती है। हालांकि चीन ने अपना ब्रह्मोस का मुकाबला करने के लिए मैक 3 सुपरसोनिक मिसाइल सीएम-302 का विकास किया है। इस मिसाइल में पाकिस्तान की भी दिलचस्पी है। भारत इसके जवाब में ‘ब्रह्मोस-II’ पर काम कर रहा है, जिसे जिरकॉन कहा जाता है। यह आवाज की गति से 7 गुना तेजी से मार करने से सक्षम है।

ब्रह्मोस और सुखोई से खौफजदा है पाकिस्तान

आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक की गति से हमला करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के अलावा पाकिस्तान में रूस से मिले सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान का भी खौफ है। रक्षा विषेशज्ञों की मानें तो फाइटर जेट सुखोई और ब्रह्मोस एक डेडली कॉम्बिनेशन बनाते हैं। इस वजह से पाकिस्तान की नींद उड़ी है।

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