हिंद महासागर में चीन, भारत के लिए टेंशन
चीन तेजी से ब्लू आर्मी का निर्माण कर रहा है, जिसके लिए उसने अंतर्राष्ट्रीय जल में अपने पैर पसारे हैं और दक्षिण चीन सागर में अमेरिका सहित आधा दर्जन से ज्यादा देशों के साथ झगड़े किए हैं। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी से भारत भी चिंतित है। खबर है कि युद्ध की स्थिति में (बीजिंग) बुनियादी सुविधा जैसे मदों पर खर्च में कटौती की जा सकती है, लेकिन सैन्य व्यय लगातरा बढ़ाएगा।
2035 तक चार परमाणु पोत शामिल करने की तैयारी
नौसेना विशेषज्ञ और पीएलए से रिटायर नौसेना अधिकारी वांग युनफेई ने चीनी मीडिया को बतायाकि EMAALS जैसी प्रणाली से लैस चीन के परमाणु युक्त विमान वाहक 2035 तक नौसेना में शामिल हो सकते हैं। जिससे वाहकों की संख्या बढ़कर कम से कम छह हो जाएगी। हालांकि उसमें से केवल चार ही अग्रिम मोर्चे पर काम करेंगे। वांग युनफेई ने आगे कहा कि चीन को तबतक विकास करने की जरूरत है, जबतक वह अमेरिका के समान स्तर तक नहीं पहुंच जाता।
अमरीका की बराबरी करना चाहता है चीन
विश्व की दूसरी सबसे बड़ी नौसेना का मकसद अमरीका के साथ प्रतिस्पर्धा करना है और इसके अलावा दक्षिण व पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद के कारण भी बीजिंग शक्तिशाली नौसेना का निर्माण करने के लिए आगे बढ़ा है।
लगातार शैन्य शक्ति बढ़ा रहा चीन
वांग ने कहा कि चीन में आर्थिक मंदी से इन वाहकों के लिए बजट प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर आर्थिक मंदी से प्रभाव पड़ता भी है तो हम कुल सैन्य व्यय में अनुपात को समायोजित कर सकते हैं, ताकि नौसेना का आधुनिकीकरण जारी रहे। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए हम नए टैंकों की संख्या में कटौती कर सकते हैं।