2007 में हुई शुरुआत
दरअसल, 13 नवंबर को मलीना में ईस्ट एशिया समिट का आयोजन होने वाला है। इस चतुर्भुज वार्ता सम्मेलन में भारत समेत चारों देशों के प्रतिनिधि हिस्स लेंगे। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचेंगे। बता दें कि एक दशक पहले 2007 में हुई शुरुआत के बाद इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। चीन को डर है कि इस सम्मेलन में ये सहयोगी देश उसके बढ़ते प्रभाव को करने और वन चाइना पॉलिसी को संतुलित करने का उपाय तलाश सकते हैं। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस सम्मेलन में किसी थर्ड पार्टी देश के हितों को अनदेखा न किया जाए।
भारत पर कसा तंज
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि हमें उम्मीद है कि समय की मांग के अनुसार यह चार देशीय इस गठजोड़ में शांति, विकास, सहयोग और आपसी हितों का पूरा ध्यान रखेगा। जिससे आपसी सहयोग और क्षेत्र में शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी। शंघाई इंटरनेशन स्टडीज युनिवर्सिटी के प्रोफेसर और चाईनीज विशेषज्ञ लियान देगोय का कहना है कि इस आपसी सहयोग गठबंधन में भारत की भूमिका नगण्य साबित होगी। चीनी विशेषज्ञ ने कहा कि भारत अभी अपनी भीतरी समस्याओं जैसे आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके अलावा भारत अभी केवल विकासशील देश और और विकास के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसे में इस गठबंधन में भारत कुछ अधिक कर सकते की स्थिति में नहीं होगा।