चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का बयान
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस बारे में टिप्पणी की। अपने बयान में उन्होंने कहा कि ‘चीन-भारत सीमा विवाद पर चीन का रुख अटल और साफ है। चीन की सरकार ने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है। इस सीमा के पूर्वोत्तर खंड में भारतीय नेताओं की गतिविधियों का चीन कड़ा विरोध करता है।’ चीन अरुणाचल प्रदेश पर पहले भी अपने अधिकार का दावा करता रहा है। यही नहीं वह इसे दक्षिण तिब्बत बताता है।
ऐसा कुछ न करें जिससे बढ़े विवाद: चीन
बीजिंग की ओर से जारी बयान में आगे कहा गया कि ऐसे कदमों से दोनों तरफ से रिश्तों में सुधार की दिशा में हुई प्रगति पर धक्का लगेगा। उन्होंने इस दौरान पिछले साल वुहान में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा, ‘चीन भारत से दोनों देशों के हितों के मद्देनजर चीनी पक्ष के हितों और चिंताओं का ख्याल रखते हुए द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार को बनाए रखने की अपील करता है। चीन ऐसी किसी गतिविधि पर संयम रखने का आग्रह करता है जिससे विवाद बढ़े और सीमा का सवाल जटिल बन जाए।’ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि बीजिंग भारत के नेताओं और विदेशी पदाधिकारियों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के दौरे से नाराज है और वह इसकी निंदा करता है। अरुणाचल प्रदेश चीन-भारत सीमा विवाद का केंद्र है।
पहले भी कई बार जताई है आपत्ति
इससे पहले वर्ष 2017 में चीन ने तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के अरुणाचल प्रदेश दौरे को लेकर भी नाराजगी जाहिर की थी। गौरतलब है कि चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर 1962 में युद्ध हुआ था। दोनों देशों के बीच 3,444 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है। सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार टकराव की स्थिति पैदा हुई है। हाल में 2017 में डोकलाम में एक सड़क निर्माण को लेकर दोनों देशों के बीच गतिरोध की स्थिति भी बन गई थी। हालांकि पिछले साल मोदी और शी के बीच मुलाकात के बाद दोनों देशों के आपसी रिश्तों में सुधार आया है। इस मौके पर दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति बनाए रखने का संकल्प लिया।