एशिया

भारत को घेरने में जुटा चीन, चाबहार पोर्ट को पाकिस्तान से जोड़ने का ईरान के सामने रखा प्रस्ताव

श्रीलंका में हम्बनटोटा पोर्ट को 99 साल के लीज पर लेने के बाद बीजिंग सामरिक रूप से भारत के सामने मुश्किले पैदा करना चाह रहा है।

Dec 29, 2017 / 03:55 pm

Mohit sharma

नई दिल्ली। रिश्ते सुधारने का दावा करने वाला चीन अपनी औछी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। यही कारण है कि चाबहार पोर्ट के माध्यम से चीन ने एक बार फिर भारत को घेरने का प्रयास किया है। दरअसल, ईरान के सहयोग से विकसित किए गए चाबहार पोर्ट को चीन पचा नहीं पा रहा है। जिसके चलते उसने भारत के लिए अति महत्व वाले इस पोर्ट में अड़ंगा लगाने की कोशिश की है। वहीं दूसरी ओर पड़ोसी देश श्रीलंका में हम्बनटोटा पोर्ट को 99 साल के लीज पर लेने के बाद बीजिंग सामरिक रूप से भारत के सामने मुश्किले पैदा करना चाह रहा है।

ओबोर का बदला

दरअसल, ईरान में भारत द्वारा विकसित किए गए चाबहार पोर्ट को चीन प्रभावित करना चाह रहा है। इस बात की पुष्टि ईरान के उस बयान से हुई है, जिसमें चीन ने उससे पाकिस्तान में बने ग्वादर पोर्ट को चाबहार से जोड़ने का अनुरोध किया है। जानकारी के अनुसार चीन ने ईरान के समक्ष यह मांग रखी है कि वह पाकिस्तान में निर्माणाधीन ग्वादर पोर्ट को अपने यहां बन रहे दक्षिणपूर्वी पोर्ट चाबहार से जोड़ने की अनुमति दे। बता दें कि अपनी अति महत्वाकांक्षी योजना ओबोर के अंतर्गत वह भारत का समर्थन हासिल करने में असफल साबित हुआ है, जिसके जवाब में उसने भारत के समक्ष नई परेशानी खड़ी करने के लिए ईरान के सामने यह प्रस्तव रखा है।

बाजार तक पहुंच बनाने पर जोर

ईरानी मीडिया के अनुसार चीन ने ईरान के समक्ष यह प्रस्ताव रखा है कि वह चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल ग्वादर से गुजरने वाले माल को मंजिल तक पहुंचाने के रूप में करना चाहता है। यह खबर चाबहार फ्री ट्रेड जोन के निदेशक अब्दुलरहीम कोर्दी के हवाले से कही गई है। हालांकि कोर्दी के हवाले से यह भी कहा गया कि दोनों देशों में बन रहे इन पोर्ट के बीच में किसी भी तरह की कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। चीन की ओर से कहा गया कि बाजार तक अपनी पहुंच बनाने में ये दोनों पोर्ट एक-दूसरे के पूरक साबित हो सकते हैं। अफगानिस्तान से सड़क मार्ग के जरिए कारोबार में पाकिस्तान बाधा बना हुआ था। जिसके जवाब में भारत द्वारा ईरान में चाबहार पोर्ट को विकसित किया जा रहा है। चाबहार पोर्ट को दिसंबर 2018 तक ऑपरेशनल होने की संभावना जताई जा रही है। अब इस मार्ग से भारत अपना सामान या समुद्री रूट से अफगानिस्तान भेजा जा सकता है। बता दें कि पीएम मोदी की पिछले साल मई की ईरानी यात्रा के दौरान चाबहार पोर्ट को लेकर भारत—अफगानिस्तान और ईरान में त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि सड़क मार्ग के मुकाबले समुद्री मार्ग से माल भेजने में भारत को कम खर्च करना होगा।

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