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भारत से टकराने पर चीन की अर्थव्यवस्था को लगेगा बड़ा झटका, मंदी से बचना होगा नामुमकिन

Published: Jul 07, 2017 08:51:00 am

Submitted by:

ghanendra singh

भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दिनों में तनातानी तेजी से बढ़ी है। सिक्किम में भारत और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।

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नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच पिछले कुछ दिनों में तनातानी तेजी से बढ़ी है। सिक्किम में भारत और चीन के बीच युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। चीन ने हैम्बर्ग में होने वाली जी-20 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली दोपक्षीय मुलाकात को रद्द कर दिया है। दोनों देशों के रिश्ते आने वाले दिन में और खराब होने और युद्ध की आशंका बढ़ गई है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और भारत की स्थिति वर्तमान में 1962 से बिल्कुल अलग है। भारत ने चीन को रोकने के लिए अपने सबसे बड़े हथियार को खड़ा कर रखा है और वह यह दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार। भारत और चीन के बीच 2016-17 में 71.18 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है। इसमें चीन की हिस्सेदारी 59.43 अरब डॉलर और भारत की 11.75 अरब डॉलर है। ऐसे में युद्ध होने पर चीन को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि उसका सबसे बड़ा बाजार से हाथ धोना पड़ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो चीन को अपनी अर्थव्यवस्था को मंदी से बचना चीन के लिए नामुमकिन होगा।


चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार
भारत, चीन का सबसे बड़ा बाजार है। मोबाइल, टीवी, चार्जर, म्यूजिक सेट, ऑटो एसेसरीज, बिल्डिंग मैटीरियल, सेनटरी आइटम, टाइल्स, मशीने, आयरन-स्टील, खिलौने , केमिकल आदि में चीनी कंपनियां का बहुत बड़ा बाजार भारत है। इसी के चलते दोनों देशों के बीच में 2016-17 तक लगभग 71.18 अरब डॉलर का कारोबार हुआ है, जिसमें चीन इस समय भारत को 59.43 अरब डॉलर के सामान का सालाना निर्यात किया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 तक चीन ने भारत में 4.91 अरब डॉलर का निवेश किया है। 

100 अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य 
चीन अगले दो साल में भारत के साथ 100 अरब डॉलर का ट्रेड ले जाना चाहता है। इसके लिए चीन ने रेलवे, माइनिंग, पर्यटन, अंतरिक्ष अनुसंधान तथा वोकेशनल एजुकेशन से जुड़ेे समझौते भारत के साथ हाल ही में किए है। इन क्षेत्रों में चीनी कंपनियां भी विस्तार करेगी।

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