काउंसलर जी रोंंग ने पुष्टि की कि 17 अक्टूबर को हुए भूस्खलन के कारण ब्रह्मपुत्र नदी अवरुद्ध होने से एक कृत्रिम झील का निर्माण हो गया था। उन्होंने कहा कि घटना के बाद चीन के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत को तुरंत सूचित किया। उन्होंने कहा किआपातकालीन सूचना साझाकरण तंत्र को तुरंत सक्रिय किया गया था । चीन दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि चीन स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। काउंसलर जी रोंग ने कहा कि, “चीन के जल संसाधन मंत्रालय के निर्देशों के मुताबिक भारत को आपातकाल की जानकारी देने के लिए, चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के जलविद्युत ब्यूरो तुरंत ही सक्रीय हो गए थे। प्रवक्ता ने यह भी बताया कि भारतीय पक्ष को ‘द्विपक्षीय रूप से सहमत’ चैनलों के माध्यम से आगे होने वाली किसी भी घटना कि सूचना समय पर दे दी जाएगी।
चीन दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि वुहान में अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने आपसी हितों के कई मुद्दों सहमति व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि इसके तहत ही चीनी पक्ष यलुज़ांगबू नदी पर भारतीय पक्ष के साथ जानकारी साझा कर रहा है । बता दें कि इस साल जून में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधान मंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने पार सीमा पार नदी सहयोग से संबंधित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविेश कुमार ने पहले कहा था कि केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों के सभी प्रासंगिक अधिकारियों को इस स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है ताकि वे सावधानी पूर्वक आवश्यक उपाय कर सकें।उन्होंने कहा कि हमें चीनी पक्ष से जानकारी मिली है कि ब्रह्मपुत्र नदी के रास्ते में भूस्खलन हुआ है। उन्होंने कहा कि दोनों देश नियमित संपर्क में हैं।