संसद के 18 दिन चले सत्र के आखिरी दिन अपने आधे घंटे के भाषण में शी ने कहा- चीन के लोग और चीनी राष्ट्र का साझा दृढ़ मत है कि हमारे क्षेत्र का एक इंच भी चीन से अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश की सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा करनी चाहिए और मातृभूमि के पूर्ण एकीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। अतीत की परंपराओं से अलग हटकर शी ने संसद में जो भाषण दिया उसका पूरे देश में प्रसारण किया गया।
अलाववादियों को दिया संदेश
चीन ताइवान को भी अपना हिस्सा मानता है। शी ने अलगाववादियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि चीन के लोगों में अलगावादियों के कदमों को विफल बनाने का दृढ़ निश्चय, विश्वास और क्षमता है। अपने भाषण में उन्होंन बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा को ‘विभाजनकारी’ कहा। इससे पहले भी चीन दलाई लामा के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करता रहा है। चीन सरकार ने एक बार कहा था कि दलाई लामा ‘भिक्षु के भेष में अलगाववादी हैं।’
चीन ताइवान को भी अपना हिस्सा मानता है। शी ने अलगाववादियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि चीन के लोगों में अलगावादियों के कदमों को विफल बनाने का दृढ़ निश्चय, विश्वास और क्षमता है। अपने भाषण में उन्होंन बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा को ‘विभाजनकारी’ कहा। इससे पहले भी चीन दलाई लामा के लिए कड़े शब्दों का इस्तेमाल करता रहा है। चीन सरकार ने एक बार कहा था कि दलाई लामा ‘भिक्षु के भेष में अलगाववादी हैं।’
जबकि हाल ही में दलाई लामा का यह बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि- तिब्बत का चीन के साथ उसी तरह से अस्तित्व रह सकता है, जिस तरह से यूरोपीय संघ के देश एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वे अपने देश के लिए सिर्फ स्वायत्तता चाहते हैं, स्वतंत्रता नहीं। यह बात उन्होंने इंटरनेशनल कैम्पेन फॉर तिब्बत की 30वीं वर्षगांठ पर अपने वीडियो संदेश में कही थी।
माओत्से-तुंग के बाद सबसे ताकतवर नेता गौर हो, पिछले साल अक्टूबर में शी को लगातार दूसरी बार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) का महासचिव चुना गया था। पार्टी और सेना प्रमुख होने के साथ- साथ अब वे जीवनपर्यंत राष्ट्रपति पद पर भी बने रह सकते हैं। हाल ही में इस संबंध में प्रस्तुत किए गए प्रस्ताव को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। जिनपिंग को सीपीसी के संस्थापक माओत्से-तुंग के बाद देश के सबसे ताकतवर नेता हैं। उल्लेखनीय है कि CPC की पिछले साल हुई कांग्रेस में शी की विचारधारा को संविधान में जगह देने पर भी सहमति जताई थी, जबकि अब तक यह सम्मान आधुनिक चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी देंग शियोपिंग को ही दिया गया था। सीपीसी के इस फैसले का चीन व दुनिया के अन्य देशों में विरोध भी हुआ था।
आजीवन बने रह सकते हैं राष्ट्रपति फिलहाल जिनपिंग का पांच साल का दूसरा कार्यकाल चल रहा है। CPC (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ) की केंद्रीय समिति ने संविधान के उस अनुबंध को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें राष्ट्रपति को केवल दो कार्यकाल के लिए ही चुना जा सकता है। अब इस प्रस्ताव को चीनी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार- चीन के संविधान में वर्तमान में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यकाल दो बार से ज्यादा नहीं होने का प्रावधान था। अब यह प्रावधान हटा दिया गया है।