नेपाल: मध्यावधि चुनाव के ऐलान के बाद से चीन प्रचंड से करीबी बढ़ाने में लगा
Highlights
- विश्लेषकों के अनुसार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी अब दो गुटों पर बंट चुकी है।
- चीनी राजदूत ने प्रचंड से खास मुलाकात की।

नई दिल्ली। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव में उतरने के फैसले से चीन को बड़ा झटका लगा है। दरअसल चीन ओली के सहारे भारत को निशाना बनाने में लगा था। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी अब दो गुटों पर बंट चुकी है। ऐसे में चुनाव से पहले टूट पड़ सकती है।
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इस दौरान नेपाल में अपनी दाल न गलते देख चीनी राजदूत हाओ यांकी नेपाल में कम्यूनिस्ट पार्टी के पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' को साधने में लगी हैं। नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी से मुलाकात के बाद गुरुवार को चीनी राजदूत ने प्रचंड से खास मुलाकात की।
पुष्प कमल दहल के करीबी सूत्रों के अनुसार यह मुलाकात करीब 30 मिनट तक हुई। इसमें नेपाल के वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई। प्रचंड के करीबी नेता विष्णु रिजल ने ट्वीट कर बताया कि इस बैठक में द्विपक्षीय चिंता को लेकर वार्ता हुई।
ऐसा कहा जा रहा है कि कि अगर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी टूटती है तो नेपाल कांग्रेस के जीतने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। नेपाली कांग्रेस काफी समय से भारत के साथ अच्छे रिश्ते रखने का समर्थन करती आई है। गौरतलब है कि ओली सरकार चीन के इशारे पर काम करती रही है। नेपाल सरकार के कामकाज पर चीन का हस्तक्षेप अधिक रहा है। यहां पर वह अपना निवेश बढ़ाता जा रहा है। उसका निवेश पांच गुना हो चुका है।
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