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चीन: 2020 में चीन का पहला मंगल मिशन होगा शुरू, लैंडिंग परीक्षण रही सफल

चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के प्रमुख जैंग केजान ने दी जानकारी सात महीने में मंगल पर पहुंचेगा चीन का लैंडर

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Shweta Singh

Nov 15, 2019

China Lander

हुएलाई। चीन हमेशा से भारत के हर कदमों पर अपनी नजर बनाए रखता है। बात सीमा की हो या अंतरराष्ट्रीय संबंधों की हो, चीन को भारत के हर मामले में दिलचस्पी होती है। अब ड्रैगन भारत को अंतरिक्ष में भी टक्कर देने की होड़ में है। गुरुवार को चीन ने अपने पहले मंगल मिशन के लिए सफलतापूर्वक लैंडिंग परीक्षण किया है। इस बारे में चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के प्रमुख जैंग केजान ने जानकारी दी।

अभी तक मिशन को नहीं मिला कोई नाम

चीन ने अभी तक इस मंगल मिशन का कोई नाम नहीं दिया है। लैंडिंग परीक्षण उत्तरी हेबेई प्रांत में किया गया। अंतरिक्ष प्रशासन के प्रमुख जैंग केजान ने परीक्षण सेविदेशी राजनयिकों और मीडिया के सामने बताया कि मंगल मिशन को लेकर चीन सही दिशा में हैं।

सात महीने में मंगल पर पहुंचेगा लैंडर

लैंडर को मंगल पर उतारने से पहले बीजिंग के उत्तर पश्चिम में हुएलाई स्थान पर परिभ्रमण और बाधा दूर करने की टेस्टिंग की गई। दरअसल, इस जगह पर चट्टानों के छोटे टीले हैं, जो मंगल की सतह जैसा है। केजान के मुताबिक, चीन ने लांग मार्च-5 रॉकेट विकसित किया, जिसकी मदद से लैंडर सात महीने में मंगल पर पहुंचेगा।

मात्र सात मिनट में होगी लैंडिंग

वहीं, इस मंगल मिशन के मुख्य वास्तुकार के जैंग रोंग्कियाओ का कहना है कि भले ही मंगल तक पहुंचने में सात महीने का समय लगे, लेकिन लैंडिंग में मात्र सात मिनट का समय लगेगा। हालांकि, उन्होंने माना कि लैंडिंग ही मिशन का सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण चरण है। आपको बताते चलें कि इस साल की शुरुआत में चीन के रोवर ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी।

इस मिशन के कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में केजान ने मीडिया से बताया। वे इस प्रकार हैं-

- चीन ने 2016 में अपने मंगल मिशन पर औपचारिक रूप से काम करने की शुरुआत कर दी थी।

- यह अभियान 2020 में लॉन्च होगा, इसके मंगल तक पहुंचने में सात महीने लगेंगे।

- 2022 तक चीन अपना मानव आधारित अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने में कामयाब हो जाएगा।

गौरतलब है कि चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है। 2022 तक अपना मानव आधारित अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की उम्मीद वाला बीजिंग अपने नागरिक और सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए रूस और जापान से ज्यादा खर्च कर रहा है। हालांकि इस मामले में वह अभी भी अमरीका से पीछे है।