क्या थी मीडिया रिपोर्ट?
इससे पहले आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ब्रह्मपुत्र के बहाव को रोकने के लिए योजना बना रहा है। खबरों के मुताबिक चीन शिनजियांग प्रांत के बंजर इलाकों तक पानी पहुंचकर उसे विकसित बनाना चाहता था, जिस वजह से 1000 किलोमीटर लंबी टनल बनाने की योजना थी। टनल निर्माण की ड्राफ्टिंग समिति में शामिल रहे वांग वी के अनुसार इस प्रोजेक्ट में एक किलोमीटर पर लगभग एक बिलियन युआन का खर्च आएगा। इस हिसाब से 100 किमी लंबे इस टनल पर टोटल खर्च 1 ट्रिलियन युआन के आसपास आएगा। हालांकि जानकारी सामने आई है कि इस प्रोजेक्ट को अभी पर्यावरणविदों की ओर से क्लियरंस नहीं दिया गया है और अभी चीनी सरकार इससे होने वाले नफा—नुकसान के आकलन में जुटी है। एक चीनी शोधकर्ता के अनुसार यह प्रोजेक्ट चीन की प्राथमिकता है और इसको वह एक दिन जरूर अंजाम तक पहुंचाएगा।
इससे पहले आई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ब्रह्मपुत्र के बहाव को रोकने के लिए योजना बना रहा है। खबरों के मुताबिक चीन शिनजियांग प्रांत के बंजर इलाकों तक पानी पहुंचकर उसे विकसित बनाना चाहता था, जिस वजह से 1000 किलोमीटर लंबी टनल बनाने की योजना थी। टनल निर्माण की ड्राफ्टिंग समिति में शामिल रहे वांग वी के अनुसार इस प्रोजेक्ट में एक किलोमीटर पर लगभग एक बिलियन युआन का खर्च आएगा। इस हिसाब से 100 किमी लंबे इस टनल पर टोटल खर्च 1 ट्रिलियन युआन के आसपास आएगा। हालांकि जानकारी सामने आई है कि इस प्रोजेक्ट को अभी पर्यावरणविदों की ओर से क्लियरंस नहीं दिया गया है और अभी चीनी सरकार इससे होने वाले नफा—नुकसान के आकलन में जुटी है। एक चीनी शोधकर्ता के अनुसार यह प्रोजेक्ट चीन की प्राथमिकता है और इसको वह एक दिन जरूर अंजाम तक पहुंचाएगा।
सुंरग बनने पर भारत पर पड़ेगा ये असर
चीन के इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा प्रभाव भारत पर पड़ेगा। यही कारण है कि 2010 में भी तिब्बत के जैंग्मू में बनाए गए बांध पर भी भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि जैंग्मू बांध के बाद चीन इसके अलावा तीन और अन्य बांधों को भी अनुमति दे चुका है। जानकारों के मुताबिक जैग्मू और अन्य तीन बांधों की अपेक्षा ब्रहृमपुत्र पर बनने वाला बांध भारत के लिए अधिक मुसीबतों खड़ा कर सकता है। हालांकि इससे पड़ोसी देश बांग्लादेश को भी बड़ा खामियाजा भुगताना पड़ेगा। आपको बता दें कि डोकलाम विवाद के दौरान जिस समय भारत के गुजरात व असम समेत कई राज्यों में बाढ़ आई हुई थी, तब भी चीन ने ब्रहृमपुत्र पानी का लेखाजोखा देने से साफ इनकार कर दिया था।
चीन के इस प्रोजेक्ट का सबसे बड़ा प्रभाव भारत पर पड़ेगा। यही कारण है कि 2010 में भी तिब्बत के जैंग्मू में बनाए गए बांध पर भी भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि जैंग्मू बांध के बाद चीन इसके अलावा तीन और अन्य बांधों को भी अनुमति दे चुका है। जानकारों के मुताबिक जैग्मू और अन्य तीन बांधों की अपेक्षा ब्रहृमपुत्र पर बनने वाला बांध भारत के लिए अधिक मुसीबतों खड़ा कर सकता है। हालांकि इससे पड़ोसी देश बांग्लादेश को भी बड़ा खामियाजा भुगताना पड़ेगा। आपको बता दें कि डोकलाम विवाद के दौरान जिस समय भारत के गुजरात व असम समेत कई राज्यों में बाढ़ आई हुई थी, तब भी चीन ने ब्रहृमपुत्र पानी का लेखाजोखा देने से साफ इनकार कर दिया था।