इस मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र में तैनात चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) को सचल होवित्जर उपलब्ध कराए गए हैं। इनका उद्देश्य सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिए सैनिकों की युद्ध क्षमता में सुधार करना है।
रिपोर्ट में चीनी सैन्य विश्लेषकों के हवाले से बताया गया कि नए उपकरण पीएलसी-81 वाहनों पर लगे होवित्जर हैं। चीन-भारत के बीच 2017 के डोकलाम विवाद के दौरान तिब्बत में एक आर्टिलरी ब्रिगेड ने इसका इस्तेमाल किया था।
सैन्य विशेषज्ञ एवं टीवी कमंटेटर सोंग झोंगपिंग ने चीन के आधिकारिक मीडिया को बताया कि होवित्जर करीब 50 किलोमीटर की दूरी तक गोले दाग सकती है और वह लेजर और उपग्रह निर्देशित मिसाइलों को भी गिरा सकती है।
आमने-सामने रही थीं भारत-चीन सेनाएं बता दें कि इससे पहले भारत और चीन के संबंधों में साल 2018 में सद्भाव देखने को मिला था। जबकि 2017 में दोनों देशों के बीच डोकलाम को लेकर सैन्य गतिरोध पैदा हो गया था। इसी साल देशों के शीर्ष नेताओं के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक हुई। जिससे एशिया के दो बड़े देशों के मध्य तनाव कम करने में सहायता मिली।
साल 2017 में भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में 60 अरब डालर वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के साथ ही डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहने के कारण कड़वाहट आ गई थी। सीपेक ‘बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव’ (बीआरआई) का एक हिस्सा है, जो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका मकसद विदेश में चीन का प्रभाव बढ़ाना है।