दरअसल, कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बीच पाकिस्तान में भूख से मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि सिंध प्रांत के मीरपुर खास जिले में यह घटना घटी है। ‘एक्सप्रेस न्यूज’ में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि मीरपुर खास जिले के शहर झडो में एक 45 वर्षीय गर्भवती महिला ने भूख से दम तोड़ दिया।
रुबिना नाम की महिला के पति अल्लाबख्श ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उसके पास कोई काम नहीं है। इसे लेकर उसकी पत्नी परेशान भी रहती थी। उसके पास कहीं से कोई मदद नहीं पहुंची। चौबीस घंटे से अधिक बीत गया जब उसके छह बच्चों और पत्नी को खाने को कुछ नसीब नहीं हुआ और इसी बीच पत्नी की मौत हो गई।
अल्लाबख्श ने बताया कि उसके पास पत्नी को दफन करने के लिए पैसे नहीं थे। इलाके के लोगों ने चंदा कर कफन-दफन का इंतजाम किया।
इमरान सरकार के दावों की खुली पोल
महिला की मौत के बाद इमरान सरकार के दावों की पोल खुल गई है। केंद्र की इमरान सरकार और सिंध प्रांत की सरकार के दावों पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं कि लॉकडाउन के दौरान गरीबों तक सरकारी मदद पहुंचाई जा रही है।
उधर, देश में इस बात को लेकर कामगारों में गुस्सा बढ़ रहा है कि उन्होंने लॉकडाउन शुरू होने से पहले जो काम किया था, उसका मेहनताना तक उन्हें अभी नहीं दिया गया है। इस मुद्दे पर कराची में विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिकों व अन्य कर्मचारियों ने बढ़ी संख्या में प्रदर्शन किया।
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल ट्रेड यूनियन फेडरेशन एवं वूमेन वर्कर्स एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से कराची प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर उनके बकाया वेतन और मजदूरी का अविलंब भुगतान नहीं किया गया तो वे सरकारी दफ्तरों और कंपनियों का घेराव करेंगे। उनका कहना था कि इतने मुश्किल समय में जब आम गरीब लोगों को राहत देने का जरूरत है, सरकार बड़े कारोबारियों को राहत देने में लगी हुई है।