मौलाना समी उल हक को पाकिस्तान में तालिबान का जनक कहा जाता है। वह एक प्रभावशाली धर्मगुरु थे जिनसे हजारों तालिबान लड़ाकों ने शिक्षा हासिल की थी। पुलिस ने बताया है कि हमला उनके रावलपिंडी स्थित आवास पर हुआ। रावलपिंडी के बहरिया टाउन इलाके में स्थित उनके घर में उस समय कोई नहीं था। उनके परिवार ने इस बात की पुष्टि की है कि हमलावरों ने कई बार चाकू घोंपकर उन्हें मारा है। परिवार के लोगों का कहना है कि वह इस्लामाबाद में एक प्रदर्शन में हिस्सा लेने जा रहे थे, लेकिन रास्ता जाम होने की वजह से वापस आ गए थे ।
इससे पहले भी समी पर हमले की खबरें आई थीं। कुछ दिन पहले जब वह अपनी कार में कहीं जा रहे थे, तब भी कुछ अज्ञात मोटरसाइकिल सवार लोगों ने उनकी अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। 80 साल के मौलना समी उल हक 1988 से दारुल उलूम हक़्क़ानिया के अध्यक्ष थे। बता दें कि इस मदरसे से तालिबान लड़ाकों को इस्लामी शिक्षा दी जाती है। मौलाना समी उल हक़ पहली बार चर्चा में तब आए थे जब उन्होंने कुख्यात तालिबानी आतंकी मुल्ला उमर को अपना बेहतरीन छात्र करार दिया था।
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने मौलाना की मौत पर शोक जताते हुए कहा कि देश ने बड़ा धार्मिक नेता खो दिया है। उन्होंने कहा है कि देश की सेवा के लिए हक को हमेशा याद किया जाएगा। इमरान खान ने हक की हत्या में जांच के आदेश दे दिए हैं। जमियत उलेमा ए इस्लाम के एक धड़े के नेता और दो बार पाकिस्तान की संसद के सदस्य रह चुके समी ने इस साल हुए चुनावों में सत्ताधारी तहरीक-ए-इंसाफ़ पार्टी का समर्थन किया था। बता दें कि पाकिस्तान इस समय बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है।समी उल हक़ की हत्या एक में समय में हुई है जब पाकिस्तान में ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप में बरी किए जाने के बाद प्रदर्शनों का दौर जारी है।