बुधवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में विमर्श आर्यन ने कहा,’यह परिषद सार्वभौमिक रूप से प्रत्येक के मानवा अधिकारों को बढ़ावा देने और उनके संरक्षण के लिए जिम्मेदार है। लेकिन, विडंबना यह है कि हमने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की तरफ से जो सुना, वो सब सिर्फ इस सम्माननीय मंच का ध्रुवीकरण और राजनीतिकरण करने की कोशिश है।
विमर्श ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल मानवाधिकार रक्षकों के लिए गलत और मनगढ़ंत चिंताओं को उठा रहा है। हालांकि, खुद पाकिस्तान में वैध मानवाधिकार रक्षक धार्मिक कानूनों का खामियाजा भुगत रहे हैं, जिसका आरोप वो हम पर लगाते हैं। बयान में विमर्श आर्यन ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में रक्षकों समेत हमारे लोगों के मानवाधिकारों पर सबसे बड़ा खतरा वैश्विक आतंकवाद है। पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व ने खुले तौर पर आतंक को बढ़ावा देने की बात स्वीकार की है।
विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और आगे भी रहेगा। पाकिस्तान को इसका लालच खत्म करना चाहिए। आर्यन ने इसके साथ ही ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) को भी चेताया कि उसके पास भारत के आंतरिक मामलों में टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।