भारत ने भेजा पहला शिपमेंट
भारत की ओर से अफगानिस्तान गेहूं का शिपमेंट भेजा गया है। खास बात यह है कि पहली बार ईरान के चाबहार पोर्ट के जरिए अफगानिस्तान भेजा है। इसे ऐतिहासिक बताया गया है, क्योंकि यह अफगानिस्तान से शानदार कनेक्टिविटी के लिए चाबहार बंदरगाह के ऑपरेशनल होने का रास्ता साफ करेगा। अफगानिस्तान से सड़क मार्ग के जरिए कारोबार में पाकिस्तान बाधा बना हुआ था। जिसके जवाब में भारत द्वारा ईरान में चाबहार पोर्ट को विकसित किया जा रहा है। चाबहार पोर्ट को दिसंबर 2018 तक ऑपरेशनल होने की संभावना जताई जा रही है। अब इस मार्ग से भारत अपना सामान या समुद्री रूट से अफगानिस्तान भेजा जा सकता है। बता दें कि पीएम मोदी की पिछले साल मई की ईरानी यात्रा के दौरान चाबहार पोर्ट को लेकर भारत—अफगानिस्तान और ईरान में त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि सड़क मार्ग के मुकाबले समुद्री मार्ग से माल भेजने में भारत को कम खर्च करना होगा।
तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने की शुरुआत
रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज , अफगान विदेश मंत्री सलाहाउद्दीन रब्बानी और ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिपमेंट भेजने की शुरुआत की। चाबहार पोर्ट से यह पहला शिपमेंट है, जो अफगानिस्तान भेजा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक अगले कुछ महीनों में 6 और गेहूं के शिपमेंट इस मार्ग से अफगानिस्तान को भेजे जाएंगे। बता दें कि भारत अफगानिस्तान को मदद के तौर पर 11 लाख टन गेहूं भेजेगा।
चीन को करारा जवाब
दरअसल, ईरान में भारत द्वारा विकसित चाबहार पोर्ट पाकिस्तान के उस ग्वादर पोर्ट का जवाब माना जा रहा है, जिसे चीन अपने खर्च से विकसित कर रहा है। चीन ग्वादर पोर्ट को अपनी सीपीईसी योजना के अंतर्गत विकसित कर रहा है। चीन को इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि पाकिस्तान के जरिए यह उसको सीधा मध्य एशिया से जोड़ देगा। जिसके आधार पर चीन व्यापारिक रूप से सीधा मध्य एशिया से जुड़ जाएगा।