दरअसल तलाश अभियान के दौरान पनडुब्बी का मलबा भी मिल रहा है। इंडोनेशियाई सेना ने इस बात की जानकारी दी है। सेना प्रमुख हादी जाहजंतो ने बताया कि बाली द्वीप के जिस तट पर बुधवार को आखिरी बार पनडुब्बी देखी गई थी, उस स्थान के समीप तेल के साथ-साथ मलबा मिलना इस बात का स्पष्ट सबूत है कि केआरआई नंग्गाला 402 डूब गई।
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सैन्य प्रमुख यूडो मारगोनो के मुताबिक, केआरआई नानग्गला 402 का मलबा मिला है, वह तीन हिस्सों में टूट गई है। उन्होंने कहा कि, अगर यह विस्फोट होता तो उसके टुकड़े पाए जाते, सोनार में इसकी आवाज भी सुनी जाती।
सैन्य प्रमुख यूडो मारगोनो के मुताबिक, केआरआई नानग्गला 402 का मलबा मिला है, वह तीन हिस्सों में टूट गई है। उन्होंने कहा कि, अगर यह विस्फोट होता तो उसके टुकड़े पाए जाते, सोनार में इसकी आवाज भी सुनी जाती।
प्रमाणिक सबूत मिलने से अब हमें लगता है कि पनडुब्बी डूब गई। हालांकि अब तक कोई शव नहीं मिला है। भारत समेत कई देश खोज में जुटे
आपको बता दें कि इस सबमरीन की खोज के लिए भारतीय नौसेना ( Indian Navy ) के पोत समेत कई देश तलाश में जुटे थे। इस पनडुब्बी की खोज में जहाजों से लेकर विमान और सैकड़ों सैन्यकर्मी लगे थे।
आपको बता दें कि इस सबमरीन की खोज के लिए भारतीय नौसेना ( Indian Navy ) के पोत समेत कई देश तलाश में जुटे थे। इस पनडुब्बी की खोज में जहाजों से लेकर विमान और सैकड़ों सैन्यकर्मी लगे थे।
पनडुब्बी की आखिरी लोकेशन के सिग्नल मिले हैं, जो इसके 800 मीटर (2600 फीट) की गहराई में जाने की पुष्टि करते हैं। हालांकि इस पनडुब्बी में सिर्फ 500 मीटर (1640 फीट) की गहराई तक जाने की क्षमता है।
यह भी पढ़ेंः श्रीलंका के बौद्ध भिक्षुओं ने पाकिस्तान के स्वात घाटी को बताया बौद्धों के लिए सबसे पवित्र स्थान बचाव अभियान के लिए अंडरवॉटर पनडुब्बी वाहन का इस्तेमाल किया गया है, जिसे सिंगापुर ने भेजा था। ताकि विजुएल तौर पर पुष्टि मिल सके। पनडुब्बी की तलाश में अमरीका और मलेशिया ने भी मदद की।
नौसेना प्रमुख के मुताबिक इसमें ऊर्जा जाने के बाद सिर्फ तीन दिन की ऑक्सिजन बची थी, जिसका समय शनिवार को खत्म हो गया। अब इस पनडुब्बी को डूबा हुआ माना जा रहा है। उन्होंने साफ किया कि जो सामान मिला है, वह किसी और जहाज का नहीं है।