इंडोनेशिया में राष्ट्रपति जोको विडोडो के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, 257 गिरफ्तार
प्रदर्शनकारियों व विपक्ष का आरोप
रविवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हुआ। इसको लेकर पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों व विपक्षी दलों के उम्मीदवारों का आरोप है कि रविवार का मतदान स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं था। हालांकि 66 वर्षीय अंतरिम राष्ट्रपति टोकेयेव ने विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि चुनावी प्रक्रिया लोकतांत्रिक और खुला है। वर्षों बाद कजाकिस्तान में चुनाव को लेकर इतना बड़ा प्रदर्शन राजधानी नूर-सुल्तान और सबसे बड़े शहर अल्मेटी में देखने को मिला है। हजारों प्रदर्शनकारी इस चुनाव का बहिष्कार करने की मांग कर रहे हैं। इस प्रदर्शन की निगरानी करने वाले कई पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है। एएफपी समाचार एजेंसी के मुताबिक कजाकिस्तान के उप आंतरिक मंत्री मराट कोझयेव ने कहा कि 500 लोगों को ‘गैर-कानूनी रैलियों’ से गिरफ्तार किया गया था। वहीं बीबीसी के मुताबिक पुलिस द्वारा नूर सुल्तान में प्रदर्शनकारियों को घसीटते हुए और बसों में भरते हुए देखा गया है।
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क्यों किया जा रहा है विरोध?
दरअसल, प्रतिबंधित विरोधी समूह डेमोक्रेटिक च्वाइस ऑफ कजाकिस्तान की नेता मुख्तार अबलीयाजोव ने अपने समर्थकों से रविवार के मतदान के विरोध में सड़कों पर उतरने का आग्रह किया। वोट को एक पूर्व निर्धारित परिणाम के साथ एक दिखावा मानते हुए, भगोड़े बैंकर ने रविवार और सोमवार को देश भर के शहरों में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में उन्होंने कहा कि ‘हजारों प्रदर्शनकारी’ अल्माटी के अस्ताना स्क्वायर में जमा हो जाएं। प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों द्वारा उनके विरोध को तोड़ने से पहले ‘बहिष्कार’ और लोगों के साथ पुलिस’ की मांग करने लगे। यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन ( OSCE ), जिसने 300 से अधिक पर्यवेक्षकों को मतदान की निगरानी करने के लिए भेजा, ने कभी भी देश में एक चुनाव को पूरी तरह से लोकतांत्रिक नहीं माना है।
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विरोध की पृष्ठभूमि क्या है?
मार्च में नज़रबायेव ऐसे इकलौते शख्स थे जो कि 1990 से पहले जब सोवियत यूनियन के बिखरने के बाद से कजाकिस्तान पर शासन कर रहे थे। लेकिन अचानक पूरा देश भौचक्का रह गया जब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। नज़रबायेव ने कहा कि अब वे नई पीढ़ी को सत्ता सौंपना चाहते हैं और मौका देना चाहते हैं। लेकिन अभी भी शासन पार्टी के प्रमुख के रूप में उनके प्रभाव को बनाए रखने की उम्मीद है। वह 1989 के बाद से बड़े पैमाने पर तेल समृद्ध राष्ट्र के नेता के रूप में प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। उन्होंने टोकेयेव को अपना उत्तराधिकारी बनाते हुए अंतरिम राष्ट्रपति घोषित कर दिया। टोकेयेव ने बतौर अतंरिम राष्ट्रति अपना पहला फैसले लेते हुए राजधानी अस्ताना का नाम बदलकर नूर-सुल्तान कर दिया। यह फैसला आम लोगों व प्रशासनिक अधिकारियों की सहमति के बिना किया गया, जिसको लेकर लोगों में काफी गुस्सा था।
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