रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि इस तरह के जघन्य अपराध को करना और इसे छिपाना मानवता के जमीर के खिलाफ है।” एर्दोगन ने दावा किया कि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के कटु आलोचक खाशोगी अपने विवाह संबंधी दस्तावेज लेने 28 सितंबर को पहली बार इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्यिक दूतावास आए थे। उनके इसी दौरे के साथ उनकी हत्या की योजना बनाई गई। उन्होंने कहा कि खाशोगी के लापता होने से एक दिन पहले सऊदी नागरिकों का तीन समूह इस्तांबुल आया। इनमें तीन सदस्यों का वह समूह भी शामिल था, जो बेलग्राड फारेस्ट गया था। यह वही जगह है जिसकी तुर्की जांचकर्ताओं ने लापता पत्रकार के अवशेषों के संभावित ठिकाने के रूप में तलाश की थी।
तुर्की राष्ट्रपति ने कहा, “सऊदी नागरिकों का अन्य नौ सदस्यीय दल, जिसमें जनरल भी शामिल थे, 2 अक्टूबर को तड़के एक निजी जेट विमान से यहां पहुंचा। जब खाशोगी महावाणिज्य दूत से मुलाकात करने के लिए गए तो 15 सदस्यीय मजबूत समूह ने खाशोगी की अगवानी की, जबकि उनकी मंगेतर बाहर इंतजार करती रही।” राष्ट्रपति ने कहा, “खाशोगी उस दिन दोपहर को दूतावास के अंदर गए और फिर दोबारा कभी बाहर नहीं आए। कथित हत्या से पहले वाणिज्य दूतावास के कैमरा सुरक्षा नेटवर्क की हार्डडिस्क को क्षतिग्रस्त कर दिया गया।” उन्होंने कहा, “मैंने (सऊदी अरब के शाह) किंग सलमान से 14 अक्टूबर को बातचीत की और एक संयुक्त जांच टीम का गठन किया। इसके बाद हमारे अधिकारी वाणिज्यिक दूतावास और वाणिज्य दूत के आवास में प्रवेश कर सके। हत्या के 17 दिन बाद सऊदी अरब ने माना कि खाशोगी की वाणिज्य दूतावास के अंदर हत्या कर दी गई।