इस वजह से लगा था आपातकाल
आपको बता दें मालदीव में उस समय राजनीतिक संकट पैदा हो गया था, जब 1 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और 8 अन्य नेताओं को दोषी ठहराए जाने के फैसले को पलट दिया था। राष्ट्रपति यामीन ने कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार करते हुए 15 दिन के लिए आपातकाल घोषित कर दिया था। इस दौरान कई नेताओं समेत मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और एक अन्य न्यायाधीश को गिरफ्तार कर लिया गया।
सेना ने फेंका था सांसदों को बाहर
गौरतलब है कि आपातकाल के समय सेना ने संसद भवन पर भी अपना नियंत्रण स्थापित किया था। उस दौरान एक समय ऐसा भी आया जब सेना ने संसद भवन से सांसदों को उठाकर बाहर फेंक दिया था।
अमरीका और भारत समेत अन्य देशों ने नाराजगी जताई थी
इसके बाद 15 दिन पूरे होने से पहले ही आपातकाल को 30 और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था। जिसपर अमरीका और भारत समेत दुनिया के अन्य देशों ने भी आपातकाल के बढ़ाए जाने पर नाराजगी जताई थी। मालदीव में संयुक्त विपक्ष ने भी आपातकाल को असंवैधानिक करार दिया था।
UN ने रखा था मध्यस्थता का प्रस्ताव
गौरतलब है इस स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र ने मालदीव के राष्ट्रति अब्दुल्ला यामीन और विपक्षी नेताओं में मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा था, जिसे राष्ट्रपति यामीन ने ठुकरा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के यामीन और विपक्षियों में मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा। राष्ट्रपति यामीन ने इस पर कहा कि- वे इस स्थिति में मध्यस्थता नहीं चाहते।