2022 तक संभालेंगे चीन की कमान
यही नहीं राष्ट्रपति के तौर पर लगातार दूसरे बार चुने गए शी चिनफिंग चीन से सबसे शक्तिशाली नेता बनकर उभरे हैं। जानकारों की मानें तो जिनपिंग चीन के महान नेता माओ से भी अधिक ताकतवर बनकर सामने आए हैं। जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि जिनपिंग का कद बढ़ाते हुए उनका नाम कम्युनिस्ट पार्टी के संविधान में भी शामिल कर लिया गया है। दरअसल, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के पदक्रम में जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली क्विंग (62) क्रमश: पहले और दूसरे पायदान पर हैं। अब दोनों ही नेता अगले पांच सालों के लिए नेतृत्व पर बने रहेंगे। इसके अलावा सीपीसी की सात सदस्यीय स्थाई समिति के लिए कुछ नए सदस्य भी चुने जाएंगे। बता दें कि जिनपिंग और ली ने वर्ष 2012 में सत्ता संभाली थी और दोनों नेता 2022 तक सत्ता में बने रहेंगे।
एशिया के दो धुर विरोधी नेताओं को दोबारा देश की कमान
यहां सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एशिया के दो बड़े और धुर विरोधी नेताओं शिंजो एबी और शी जिनपिंग को अपने—अपने देश की कमान संभालने का दोबारा मौका मिला है। बता दें कि जापान और चीन एक दूसरे के विरोधी देश समझे जाते हैं। द्वतीय विश्वयुद्ध के अलावा भी जहां परमाणु युद्ध के लिए खतरा बने नॉर्थ कोरिया का चीन पक्का मित्र समझा जाता है, वहीं जापान अमरीका का सबसे अधिक करीबी देश माना जाता है। ऐसे में नॉर्थ कोरिया वाले मसले पर भी दोनों देश विपरीत विचारधारा रखते हैं।